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जिनकी जांबाजी को दुनिया ने किया था सलाम, जानें कौन हैं बिकिनी किलर चार्ल्स शोभराज को दबोचने वाले इंसपेक्टर झेंडे?

जिसे कई मुल्कों की पुलिस न पकड़ पाई... उस कुख्यात बिकिनी किलर चार्ल्स शोभराज को 2 बार दबोचने वाले मधुकर झेंडे की सच्ची कहानी पर बनी मूवी ‘इंस्पेक्टर झेंडे’ 5 सितंबर यानी आज नेटफ्लिक्स पर रिलिज हो गई है।

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मनोज बाजपेयी स्टारर ‘इंस्पेक्टर झेंडे’ आज नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है। इस बार वो उस पुलिस ऑफिसर के रोल में दिख रहे हैं, जिनकी जांबाजी को दुनिया ने सलाम किया था। नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई मनोज बाजपेयी की नई कॉमिक क्राइम थ्रिलर फिल्म ‘इंस्पेक्टर झेंडे’ दर्शकों का ध्यान खींच रही है। फिल्म का निर्देशन चिन्मय मांडलेकर ने किया है और यह एक काल्पनिक रूपांतरण है, जिसमें दिखाया गया है कि किस तरह मुंबई पुलिस ने कुख्यात सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज को पकड़ने में सफलता पाई। शो देखने से पहले जानिए उस असली पुलिस अफसर के बारे में, जिन पर यह किरदार आधारित है।

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कौन थे मधुकर झेंडे?

मधुकर झेंडे शोभराज को पकड़ने वाले जांबाज अफसर मधुकर झेंडे मुंबई पुलिस के वह अफसर थे, मधुकर झेंडे उन्होंने वो कर दिखाया था, जिसे कई मुल्कों की पुलिस भी नहीं कर पाई थी। जिसके नाम से ही अपराधी खौफ खाते थे। ये वो इंस्पेक्टर थे जो सिरियल किलर चार्ल्स शोभराज के लिए यमराज से कम नहीं थे। जिस शोभराज को कई मुल्कों को पुलिस नहीं पकड़ पाई थी उसे वो एक नहीं 2 बार पकड़ चुके हैं। करीब तीन दशक तक पुलिस विभाग में सेवा देने वाले झेंडे पहली बार 1971 में चर्चा में आए, जब उन्होंने शोभराज को मुंबई में गिरफ्तार किया।चार्ल्स शोभराज कई देशों में डकैती, धोखाधड़ी और सीरियल मर्डर के मामलों में फरार था। उनकी सच्ची कहानी पर बनी इस फिल्म ‘इंस्पेक्टर झेंडे’ में मनोज बाजपेयी भौकाली पुलिस वाले के रोल में नज़र आए।

1971 में शोभराज की पहली पहली गिरफ्तारी

झेंडे ने हाल ही में दिए इंटरव्यू में बताया कि 1971 में शोभराज एक बड़ी चोरी की योजना बनाने मुंबई आया था। वह ताज होटल में ठहरा हुआ था, जबकि उसके साथी अलग-अलग होटलों में रुके थे। झेंडे और उनकी टीम ने कई दिन तक होटल के बाहर निगरानी रखी। आखिरकार, सूट पहने हुए शोभराज को देखकर उन्होंने गिरफ्तार कर लिया। तलाशी में उसके पास हथियार और होटल की रसीदें मिलीं, जिससे गैंग के बाकी सदस्यों और उनके हथियारों का सुराग मिला।

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शोभराज की दूसरी गिरफ्तारी

हालांकि शोभराज बाद में दिल्ली की तिहाड़ जेल से फरार हो गया। उसने जेल अधिकारियों को अपने जन्मदिन पर मिठाई खिलाकर बेहोश कर दिया था। दोबारा जब वह भारत लौटा, तो मामला फिर से झेंडे को सौंपा गया। झेंडे एक छोटी टीम और बेहद सीमित संसाधनों के साथ गोवा पहुंचे। वे उसे तलाशने के लिए एक लापता भाई की मोटरसाइकिल ढूंढने का बहाना करते रहे। आखिरकार, उन्होंने शोभराज को एक कैफे में पहचान लिया। जेंडे ने बताया, “मैंने उसे पकड़ते ही चिल्लाया चार्ल्स! मेरे साथी ने उसका बैग छीना और उसमें से रिवॉल्वर निकाली। लेकिन हमारे पास हथकड़ी नहीं थी, इसलिए हमने कैफे के स्टाफ से रस्सियां मांगीं और उसे बांध दिया।”

फिल्म ‘इंस्पेक्टर झेंडे की कहानी और स्टारकास्ट

फिल्म में मनोज बाजपेयी ने इंस्पेक्टर मधुकर झेंडे का किरदार निभाया है, जो एक भगोड़े को पकड़ने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहता है। उनके साथ जिम सर्भ ने ठंडे दिमाग वाले अपराधी चार्ल्स भोजराज की भूमिका निभाई है। इसके अलावा भालचंद्र कदम, सचिन खेडेकर, गिरीजा ओक और हरीश दूधाडे अहम भूमिकाओं में नज़र आते हैं।

यह फिल्म असल घटनाओं और झेंडे के साहसिक किस्सों से प्रेरित है, जो मुंबई पुलिस की कार्यशैली और जांबाज अफसरों की बहादुरी को बड़े पर्दे पर जीवंत करती है।

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