राघव जुयाल की पहचान शुरू में उनके स्लो मोशन डांस और अनोखी होस्टिंग से बनी थी। लेकिन अब वह एक ऐसे कलाकार बन चुके हैं जो फिल्म दर फिल्म अपनी एक्टिंग से दर्शकों को प्रभावित कर रहे हैं। किल, ग्यारह ग्यारह और युध्रा जैसी फिल्मों में अपनी अदाकारी दिखाने के बाद अब वह बैड्स ऑफ बॉलीवुड में नजर आ रहे हैं। इस सीरीज में उनके बिंदास और टपोरी अंदाज ने दर्शकों का दिल जीत लिया है। राघव का मानना है कि इस शो को करते हुए उन्हें लंबे समय बाद एक ताजगी और नएपन का अनुभव हुआ।
सेट पर यंग एनर्जी और बराबरी का माहौल
इस प्रोजेक्ट की खासियत आर्यन खान का निर्देशन रहा। राघव बताते हैं कि सेट पर हर किसी की राय को खुले दिल से सुना गया। आमतौर पर बड़े डायरेक्टर के सामने अपनी राय रखने में कलाकार हिचकिचाते हैं, लेकिन आर्यन ने सबको बराबरी का दर्जा दिया। उन्होंने कभी यह महसूस नहीं कराया कि वह शाहरुख खान के बेटे हैं। राघव को यह सम्मानजनक माहौल बेहद पसंद आया। उनका कहना है कि शाहरुख और आर्यन समझते हैं कि एक्टर्स को अपनी जगह बनाने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है। यही तहजीब आर्यन में देखने को मिलती है, जिससे कलाकार बिना थके घंटों काम करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
जड़ों से जुड़ी कहानियों की जरूरत
राघव बॉलीवुड की फिल्मों में बदलाव की जरूरत पर भी जोर देते हैं। उनके मुताबिक हमें अपनी जड़ों और संस्कृति से जुड़ी कहानियां दिखानी चाहिए। जैसे साउथ की फिल्में अपनी लोककथाओं, संस्कृति और वास्तविक किरदारों पर आधारित होती हैं, वैसे ही हिंदी सिनेमा को भी अपनी पहचान बनाए रखनी चाहिए। उनका कहना है कि जब दर्शक विजय सेतुपति या विजय दलपति जैसे सितारों को देखते हैं तो उन्हें एक रिलेटेबल इंसान नजर आता है, न कि कोई अवास्तविक जीआईजो या बार्बी डॉल। बैड्स ऑफ बॉलीवुड के जरिए भी टीम ने इसी सोच को अपनाया और रॉ व ऑथेंटिक कंटेंट दर्शकों तक पहुंचाया।
शाहरुख खान का असर और दोस्ती की केमिस्ट्री
शाहरुख खान का असर राघव के करियर पर साफ दिखाई देता है। वह मानते हैं कि हर उस एक्टर के डीएनए में शाहरुख खान जरूर होते हैं, जो बाहर से आकर बॉलीवुड में जगह बनाने की कोशिश करता है। उन्होंने ही साबित किया है कि बाहरी होने के बावजूद आप सबसे बड़े सुपरस्टार बन सकते हैं। वहीं, किल फिल्म में लक्ष्य के दुश्मन का किरदार निभाने के बाद इस सीरीज में राघव और लक्ष्य की दोस्ती देखने को मिलती है। असल जिंदगी की उनकी बॉन्डिंग ही स्क्रीन पर भी झलकती है। राघव के मुताबिक यही असली मजा है जब ऑफ स्क्रीन दोस्ती ऑन स्क्रीन किरदार में ढल जाए और दर्शकों के दिल तक पहुंचे।
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