महाराष्ट्र में लंबे समय से टल रहे स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। मंगलवार को हुई अहम सुनवाई में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग को 31 जनवरी 2026 तक चुनाव प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया। अदालत ने इस दौरान 10 अक्टूबर 2025 तक परिसीमन (delimitation) की प्रक्रिया खत्म करने को भी कहा। कोर्ट ने याद दिलाया कि 6 मई को ही उसने चार महीने के भीतर चुनाव कराने का आदेश दिया था, लेकिन चुनाव आयोग इस पर समय पर कार्रवाई करने में असफल रहा।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा,”निष्क्रियता अक्षमता को दर्शाती है”
सुनवाई के दौरान जब सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि परिसीमन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और चुनाव आयोग को केवल कुछ अतिरिक्त समय चाहिए, तो अदालत ने नाराजगी जताई। जस्टिस सूर्यकांत ने सवाल किया, “हम आपको जनवरी तक का समय क्यों दें?” इस पर सरकार की ओर से दलील दी गई कि 29 नगर निगमों के चुनाव एक साथ कराना हैं और 65 हजार ईवीएम मशीनें उपलब्ध हैं, जबकि 50 हजार और की आवश्यकता है। इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की कि आपकी निष्क्रियता ही अक्षमता को दर्शाती है। अदालत ने साफ कर दिया कि आगे कोई विस्तार नहीं दिया जाएगा और तय समय सीमा के भीतर ही चुनाव कराना अनिवार्य होगा।
ओबीसी आरक्षण विवाद से अटका था चुनाव
दरअसल, महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव 2022 से ही ठप पड़े हैं। इसका कारण ओबीसी आरक्षण को लेकर चल रही मुकदमेबाजी रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर विचार करते हुए मई 2025 में ही आदेश पारित किया था कि चार महीने के भीतर चुनाव कराए जाएं। इसके बावजूद राज्य चुनाव आयोग समय पर चुनाव कार्यक्रम घोषित करने में नाकाम रहा। अदालत ने अब अंतिम तारीख तय कर दी है, जिससे साफ संकेत मिलते हैं कि 31 जनवरी 2026 तक हर हाल में मतदान की प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए।
जनता को मिलेगा प्रतिनिधित्व का अवसर
लंबे समय से चुनाव न होने के कारण स्थानीय निकायों का लोकतांत्रिक ढांचा प्रभावित हो रहा था। आम जनता को भी अपने प्रतिनिधियों को चुनने का अवसर नहीं मिल पा रहा था। सुप्रीम कोर्ट के इस सख्त निर्देश के बाद अब रास्ता साफ हो गया है। तय समय सीमा में चुनाव कराने से न केवल स्थानीय निकायों में जनप्रतिनिधियों की नियुक्ति होगी, बल्कि लोकतंत्र की बुनियादी संरचना भी मजबूत होगी। अदालत का यह आदेश राज्य सरकार और चुनाव आयोग के लिए चेतावनी की तरह है कि अब और ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
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