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Nepal Protest: नेपाल में फंसे सैंकड़ो महाराष्ट्र के पर्यटक, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने की फ़ोन पर बात

नेपाल में भड़की आंदोलन की हिंसा ने अब तक 30 लोगों की जान ले ली है। इस बीच महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भारतीय पर्यटकों से फ़ोन पे बातचीत कर उन्हें सुरक्षित भारत लाने का आश्वासन दिया।

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नेपाल में पिछले हफ्ते से शुरू हुआ जन-ज़ेड आंदोलन लगातार हिंसक होता जा रहा है। इसी बीच करीब 150 महाराष्ट्र के पर्यटक नेपाल में फंस गए हैं। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को उनसे बात कर आश्वासन दिया कि उनकी सुरक्षित वापसी के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा कि राज्य सरकार स्थिति पर नज़र बनाए हुए है और जल्द ही सभी यात्रियों को सकुशल वापस लाया जाएगा। उन्होंने अपील की कि पर्यटक घबराएं नहीं और हालात सामान्य होने का इंतजार करें।

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अहमदाबाद प्रशासन ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर

महाराष्ट्र और बंगाल सरकारों के साथ-साथ गुजरात प्रशासन भी सक्रिय हो गया है। अहमदाबाद जिला प्रशासन ने नेपाल में फंसे अपने नागरिकों और उनके परिजनों के लिए हेल्पलाइन नंबर 079-27560511 जारी किया है। प्रशासन ने कहा कि अगर कोई नागरिक या उनके रिश्तेदार नेपाल में मौजूद हैं तो तुरंत हेल्पलाइन से संपर्क करें। जिला प्रशासन की प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, नागरिकों की सुरक्षा और सहायता के लिए लगातार प्रयास जारी हैं।

हिंसा का बढ़ता दायरा 30 मौतें, हजार से अधिक घायल

नेपाल के स्वास्थ्य एवं जनसंख्या मंत्रालय ने बताया कि 8 सितंबर से शुरू हुए प्रदर्शनों में अब तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 1,033 लोग घायल हुए हैं। इनमें से 713 मरीजों को छुट्टी दे दी गई है, जबकि 253 अब भी अस्पतालों में भर्ती हैं। राजधानी काठमांडू के सिविल सर्विस हॉस्पिटल में सबसे ज्यादा 436 मरीज भर्ती हैं, वहीं नेशनल ट्रॉमा सेंटर और एवरेस्ट हॉस्पिटल में क्रमशः 161 और 109 मरीजों का इलाज चल रहा है। मंत्रालय के अनुसार, कुल 28 अस्पताल प्रदर्शनकारियों और घायलों का इलाज कर रहे हैं।

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सोशल मीडिया बैन से भड़का आंदोलन, भ्रष्टाचार के खिलाफ फूटा गुस्सा

नेपाल में यह आंदोलन तब शुरू हुआ जब सरकार ने सोशल मीडिया ऐप्स पर बैन लगाया। हालांकि, यह कदम सिर्फ एक चिंगारी साबित हुआ। असल में लोग लंबे समय से कथित भ्रष्टाचार और पक्षपातपूर्ण शासन से नाराज़ थे। आंदोलनकारियों ने संसद भवन, राष्ट्रपति कार्यालय और कई सरकारी इमारतों में आगजनी की। हालात इतने बिगड़े कि सुरक्षा बलों को गोलियां चलानी पड़ीं। इसी बीच, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली को पद से इस्तीफा देना पड़ा। आंदोलन अब केवल सोशल मीडिया बैन तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि यह युवाओं की नई पीढ़ी द्वारा संस्थागत सुधार और पारदर्शी शासन की मांग में बदल गया है।

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