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मराठा आरक्षण आंदोलन पर बॉम्बे हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण नहीं, सभी शर्तों का हुआ उल्लंघन

मनोज जरांगे के नेतृत्व में आजाद मैदान में हो रहे मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट की सख्त रुख अख्तियार किया है। कोर्ट ने आंदोलनकारियों को मंगलवार तक सभी सड़कें खाली करने का समय दिया।

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मराठा आरक्षण आंदोलन के नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे को बड़ा झटका लगा है। मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। अदालत की पीठ ने कहा कि मनोज जरांगे के नेतृत्व वाला विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण नहीं है और इसमें सभी शर्तों का उल्लंघन किया गया है। हाई कोर्ट ने मनोज जरांगे और उनके समर्थकों को स्थिति सुधारने और मंगलवार यानी 2 सितंबर तक मुंबई की सभी सड़कें खाली करने का समय दिया है। कोर्ट ने कहा मुंबई में सामान्य स्थिति बहाल हो।

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महाराष्ट्र सरकार की क्या तैयारी?- बॉम्बे हाई कोर्ट

इसके साथ ही कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि स्थिति से निपटने की सरकार की क्या योजना है? कोर्ट ने कहा कानून का पालन सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाएं। उधर 4 दिन से अनशन कर रहे मनोज जरांगे ने आज से पानी छोड़ दिया है और वो पहले ही कह चुके हैं कि वो गोलियां खाने को तैयार हैं।

गोलियां खाने को भी तैयार जरांगे

मनोज जरांगे ने सोमवार को अपने अनशन के चौथे दिन से पानी पीना बंद करने का संकल्प लेते हुए कहा कि वह मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आरक्षण देने की अपनी मांग को लेकर गोलियां खाने को भी तैयार हैं। उन्होंने सरकार से उपलब्ध रिकॉर्ड को आधार बनाते हुए आरक्षण के आधार पर एक सरकारी आदेश जारी करने की मांग की है।

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5 करोड़ से ज्यादा लोग आएंगे मुंबई- जरांगे

मराठा आरक्षण आंदोलन के नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे ने सोमवार को कहा कि अगर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मराठों की मांग नहीं सुनी तो 5 करोड़ से ज्यादा लोग मुंबई आएंगे। उन्होंने मराठा आरक्षण प्रदर्शनकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि मुंबई में आम आदमी को उनके कारण असुविधा का सामना न करना पड़े।

मनोज जरांगे की क्या है मांग?

मनोज जरांगे की मांग की बात करें तो अनशन पर बैठे मनोज जरांगे वे 10% आरक्षण की मांग कर रहे हैं और चाहते हैं कि मराठाओं को कुनबी जाति के रूप में मान्यता दी जाए, क्योंकि कुनबी ओबीसी श्रेणी में आते हैं, जिससे मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण मिलेगा। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठाओं को कुनबी घोषित कर आरक्षण देना चाहिए और हैदराबाद और सातारा के गजट नोटिफिकेशन को कानून बनाया जाए। हालांकि ओबीसी नेता इस मांग का विरोध कर रहे हैं।

बॉम्बे हाई-कोर्ट के इस सख्त रुख के बाद अब देखना ये है कि आंदोलनकारी अपनी मांग को लेकर क्या नई रणनीति बनाते हैं?उधर महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार इस स्थिति से निपटने के लिए क्या कुछ कदम उठाती है?

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