पहले घुटनों का दर्द बुढ़ापे की निशानी माना जाता था, लेकिन अब यह समस्या जवानी में भी परेशान कर रही है। 30 से 40 साल के लोग भी घुटनों में दर्द और अकड़न की शिकायत कर रहे हैं। हाल ही में हुई एक रिसर्च ने इसके पीछे दो बड़े कारण बताए हैं: बढ़ता मोटापा और खेल या एक्सरसाइज के दौरान लगी चोटें। अगर इनका समय पर ध्यान न दिया जाए, तो यह गठिया जैसी गंभीर बीमारी का रूप ले सकता है।
स्वीडन की एक यूनिवर्सिटी की स्टडी में 250 लोगों पर शोध किया गया। नतीजों में पाया गया कि 30 की उम्र तक आधे से ज्यादा लोगों के घुटनों में कार्टिलेज का घिसना शुरू हो चुका था। कुछ में हड्डियों के किनारों पर उभार और जोड़ों में मामूली नुकसान भी देखा गया। इसका सबसे बड़ा कारण था शरीर का बढ़ता वजन। ज्यादा वजन होने से घुटनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे कार्टिलेज धीरे-धीरे घिस जाता है। एक बार कार्टिलेज खराब हो जाए, तो वह दोबारा नहीं बनता, और दर्द या अकड़न लंबे समय तक रह सकती है।
खेल और चोटों का असर
दूसरा बड़ा कारण है युवावस्था में खेल या हाई-इंटेंसिटी वर्कआउट के दौरान लगी चोटें। क्रिकेट, फुटबॉल या जिम में भारी एक्सरसाइज करने वाले लोगों के घुटनों पर बार-बार दबाव पड़ता है। दिल्ली के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. अमित शर्मा बताते हैं कि ऐसी चोटें कई बार पूरी तरह ठीक नहीं होतीं। समय के साथ ये चोटें जोड़ों में कमजोरी लाती हैं और गठिया का खतरा बढ़ जाता है। अगर इसके साथ मोटापा भी हो, तो समस्या और गंभीर हो जाती है।
रिसर्च में यह भी पाया गया कि 30-40 की उम्र में लोग अक्सर लंबे समय तक बैठे रहते हैं, खासकर ऑफिस में काम करने वाले। इससे घुटनों की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जो जोड़ों को सपोर्ट करती हैं। गलत जूते पहनना या दर्द को नजरअंदाज करना भी इस समस्या को बढ़ाता है।
क्या है बचाव का तरीका?
डॉक्टरों का कहना है कि सही समय पर छोटे-मोटे बदलाव घुटनों को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकते हैं। वजन को नियंत्रित करना सबसे जरूरी है। हेल्दी डाइट और नियमित एक्सरसाइज से वजन को सामान्य रखा जा सकता है। घुटनों को सपोर्ट करने वाली मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए हल्की स्ट्रेंथ ट्रेनिंग फायदेमंद है। लंबे समय तक एक जगह बैठने से बचें और हर घंटे थोड़ा टहलें। सही और आरामदायक जूते पहनना भी घुटनों पर दबाव कम करता है। अगर दर्द या सूजन हो, तो उसे नजरअंदाज न करें। शुरुआती स्टेज में फिजियोथेरेपी या हल्की एक्सरसाइज से समस्या को कंट्रोल किया जा सकता है।
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