नाड़ी शोधन प्राणायाम, जिसे अनुलोम-विलोम के नाम से भी जाना जाता है, एक खास सांस लेने की तकनीक है। इसमें नाक के दोनों नथुनों से बारी-बारी सांस ली और छोड़ी जाती है। आयुष मंत्रालय के अनुसार, यह प्राणायाम शरीर की नाड़ियों यानी ऊर्जा चैनलों को साफ करता है। यह दिमाग और शरीर के बीच संतुलन बनाता है, जिससे आप दिनभर तरोताजा और एक्टिव रहते हैं। यह अभ्यास इतना आसान है कि बच्चे से लेकर बड़े तक इसे कर सकते हैं।
मन को शांति, दिमाग को ताकत
आयुष मंत्रालय ने अपने हालिया सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि नाड़ी शोधन प्राणायाम मानसिक शांति देने में बहुत कारगर है। जब आप धीरे-धीरे सांस लेते और छोड़ते हैं, तो दिमाग को ज्यादा ऑक्सीजन मिलती है। इससे तनाव और बेचैनी कम होती है। जो लोग अक्सर चिंता या ओवरथिंकिंग का शिकार होते हैं, उनके लिए यह प्राणायाम किसी दवा से कम नहीं। यह दिमाग को शांत करता है और सोचने-समझने की क्षमता को बढ़ाता है। खासकर छात्रों के लिए यह फायदेमंद है, क्योंकि यह एकाग्रता और याददाश्त को बेहतर करता है।
शारीरिक स्वास्थ्य के लिए वरदान
नाड़ी शोधन प्राणायाम न सिर्फ दिमाग, बल्कि शरीर के लिए भी फायदेमंद है। यह फेफड़ों को मजबूत करता है और रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाता है। आयुष मंत्रालय के अनुसार, यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे सर्दी-खांसी जैसी छोटी बीमारियों से लेकर बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा कम होता है। यह पाचन तंत्र को भी दुरुस्त करता है, जिससे कब्ज, गैस और एसिडिटी जैसी समस्याएं कम होती हैं। नियमित अभ्यास से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और आप दिनभर तरोताजा महसूस करते हैं।
भावनाओं का संतुलन बनाए रखें
यह प्राणायाम दिमाग के दोनों हिस्सों को संतुलित करता है। बायां मस्तिष्क तर्क और सोच से जुड़ा होता है, जबकि दायां मस्तिष्क भावनाओं से। आयुष मंत्रालय के अनुसार, नाड़ी शोधन इन दोनों के बीच संतुलन बनाता है। इससे आप भावनात्मक रूप से स्थिर रहते हैं और निर्णय लेने में आसानी होती है। जो लोग जल्दी तनावग्रस्त हो जाते हैं या छोटी-छोटी बातों पर परेशान हो जाते हैं, उनके लिए यह अभ्यास बहुत मददगार है।
कैसे शुरू करें ये अभ्यास?
आयुष मंत्रालय ने सुझाव दिया कि शुरुआत करने वाले लोग सांस लेने और छोड़ने का समय बराबर रखें, जैसे 4 सेकंड सांस लेना और 4 सेकंड छोड़ना। इसे किसी शांत और साफ जगह पर करें, जैसे सुबह के समय बगीचे में या घर के किसी शांत कोने में। रोजाना 10-15 मिनट का अभ्यास ही काफी है। धीरे-धीरे जब आप सहज हो जाएं, तो समय बढ़ा सकते हैं। यह प्राणायाम खाली पेट करना सबसे अच्छा होता है, ताकि शरीर इसे बेहतर तरीके से ग्रहण कर सके।
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