बिहार की करीब 13 करोड़ आबादी लंबे समय से नेत्रहीनता जैसी समस्या से जूझ रही है। राज्य में हर साल लगभग 10 लाख मोतियाबिंद और आंख सर्जरी की आवश्यकता होती है, लेकिन वर्तमान सुविधाएं इस मांग के सामने बेहद कमज़ोर हैं। डॉक्टरों की कमी, आधुनिक उपकरणों का अभाव और आर्थिक स्थिति की चुनौती ने लाखों लोगों को अनावश्यक अंधेपन के गर्त में धकेल दिया है। यह समस्या सिर्फ स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक-आर्थिक जीवन को भी प्रभावित करती है। कामकाजी लोग जब अपनी आंखें खो देते हैं तो पूरा परिवार रोज़गार और सम्मान से वंचित हो जाता है, जिससे गरीबी की जड़ें और गहरी होती हैं। ऐसे हालात में मस्तीचक में बनने वाला नया आंखों का अस्पताल सिर्फ एक स्वास्थ्य सुविधा नहीं, बल्कि राज्य के भविष्य को रोशन करने की उम्मीद है।
अखंड ज्योति का सफर और महिलाओं की भूमिका
अखंड ज्योति नेत्र अस्पताल ने 2005 से ही बिहार की आंखों की देखभाल में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 12 लाख से अधिक सर्जरी कर चुके इस संस्थान ने 80 प्रतिशत से ज्यादा ऑपरेशन पूरी तरह मुफ्त में किए हैं। बिहार के 25 जिलों में फैलते दृष्टि केंद्र और आउटरीच कार्यक्रमों ने इसे आयुष्मान भारत का सबसे बड़ा प्रदाता बना दिया है। खास बात यह है कि अखंड ज्योति ने केवल स्वास्थ्य सेवाओं तक खुद को सीमित नहीं रखा। ‘फुटबॉल टू आईबॉल’ नामक अनोखे कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीण लड़कियों को फुटबॉल खेल के जरिए आत्मविश्वास दिया गया और उन्हें ऑप्टोमेट्री में प्रशिक्षित किया गया। यह पहल न सिर्फ लैंगिक भेदभाव तोड़ने में सफल रही, बल्कि सैकड़ों लड़कियों को रोजगार और नेतृत्व की भूमिका भी प्रदान कर रही है।
नए अस्पताल की क्षमता और भविष्य की योजना
RLJ अखंड ज्योति नेत्र अस्पताल सामुदायिक केंद्र का लक्ष्य हर साल तीन लाख मुफ्त सर्जरी करना है। इसके साथ ही संस्था ने विजन 2030 तय किया है, जिसके तहत बिहार में हर साल पांच लाख सर्जरी की जाएंगी। यह संख्या राज्य की जरूरत का आधा हिस्सा पूरा करने में सक्षम होगी। इसके अलावा AI-आधारित “हेल्दी आइज कैंपेन” शुरू किया गया है, जिसके तहत 1.2 करोड़ लोगों की आंखों की जांच होगी। यह कदम न सिर्फ इलाज बल्कि रोकथाम और समय पर निदान की दिशा में भी बड़ा बदलाव लाएगा।
‘एक आंदोलन की शुरुआत’
अस्पताल के सह-संस्थापक मृत्युंजय तिवारी का मानना है कि यह परियोजना महज़ एक अस्पताल की नींव नहीं, बल्कि एक आंदोलन की शुरुआत है। इसका उद्देश्य केवल अंधेपन को खत्म करना ही नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत में महिलाओं को सशक्त बनाकर एक स्थायी सामाजिक परिवर्तन लाना भी है। अखंड ज्योति नेत्र अस्पताल ने वर्षों से जिस तरह सेवा और नवाचार को जोड़ा है, वही इसे विश्वस्तरीय बनाता है। मस्तीचक से उठती यह पहल आने वाले वर्षों में न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बनने जा रही है।
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