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सिख शादियों के लिए नियम बनाएं, सुप्रीम कोर्ट का राज्यों को आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को 4 महीने में आनंद मैरिज एक्ट 1909 के तहत सिख शादियों के रजिस्ट्रेशन के लिए नियम बनाने का आदेश दिया। बिना भेदभाव के रजिस्ट्रेशन सुनिश्चित करने की बात कही।

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सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सिख शादियों, यानी आनंद कारज, के रजिस्ट्रेशन के लिए नियम बनाने का आदेश दिया। ये आदेश जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने दिया। कोर्ट ने कहा कि अगले चार महीनों में सभी राज्यों को ‘आनंद मैरिज एक्ट, 1909’ के तहत नियम तैयार करने होंगे। ये खबर सिख समुदाय और सामाजिक न्याय के लिए एक अहम कदम मानी जा रही है।

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आनंद कारज का महत्व

आनंद कारज सिख धर्म में शादी का पवित्र रिवाज है। ये गुरुद्वारों में सिख परंपराओं के अनुसार होता है। 1909 में बने आनंद मैरिज एक्ट का मकसद सिख शादियों को कानूनी मान्यता देना था। 2012 में इस एक्ट में बदलाव हुआ, जिसमें राज्यों को रजिस्ट्रेशन के लिए नियम बनाने को कहा गया। लेकिन कई राज्यों ने अब तक इस पर अमल नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने इस देरी पर सख्त टिप्पणी की और नियम बनाने की समय सीमा तय की।

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

कोर्ट ने कहा कि जब तक नियम नहीं बनते, तब तक सिख शादियों का रजिस्ट्रेशन मौजूदा नियमों के तहत बिना किसी भेदभाव के होना चाहिए। कोर्ट ने ये भी साफ किया कि अगर शादी रजिस्टर नहीं होती, तब भी वो कानूनी रूप से वैध रहेगी। जजों ने कहा कि एक धर्मनिरपेक्ष देश में किसी की आस्था को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। अगर कानून सिख शादियों को मान्यता देता है, तो रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था भी होनी चाहिए।

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नियम क्यों जरूरी

सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि रजिस्ट्रेशन से शादियों का आधिकारिक रिकॉर्ड रखा जा सकता है। इसके लिए हर राज्य को एक मैरिज रजिस्टर बनाना होगा और शादी का सर्टिफिकेट देना होगा। कोर्ट ने कहा कि ये जिम्मेदारी सभी राज्यों की है, चाहे वहां सिख शादियां कम ही क्यों न हों। अगर पहले से शादी के कानून हैं, तब भी आनंद कारज के लिए अलग नियम बनाने होंगे। ये रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को आसान और निष्पक्ष बनाएगा।

सामाजिक और कानूनी प्रभाव

इस आदेश से सिख समुदाय को अपनी शादियों के लिए कानूनी मान्यता मिलने में आसानी होगी। कई बार रजिस्ट्रेशन न होने से शादी से जुड़े कानूनी मामलों में दिक्कत आती है। कोर्ट ने कहा कि रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था से लोगों को अपने अधिकार आसानी से मिल सकेंगे। ये फैसला सिख परंपराओं का सम्मान करने के साथ-साथ कानूनी प्रक्रिया को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है।

राज्यों की जिम्मेदारी

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि नियम बनाना राज्यों की जिम्मेदारी है। ये इस बात पर निर्भर नहीं करता कि किसी राज्य में सिख समुदाय की आबादी कितनी है। कोर्ट ने राज्यों को चार महीने का समय दिया है ताकि वे इस कानून को पूरी तरह लागू कर सकें। ये आदेश न सिर्फ सिख शादियों को मान्यता देगा, बल्कि समाज में समानता और न्याय को भी बढ़ावा देगा।

Keywords:Sikh Marriage Registration, Anand Marriage Act, Supreme Court Order, Marriage Laws, Sikh Wedding Rules

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