- Advertisement -

रूस में बढ़ रहा हिंदी का क्रेज: पुतिन के मंत्री ने बताया भारत से दोस्ती का नया रंग

रूस के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाने पर जोर बढ़ रहा है, उप मंत्री मोगिलेव्स्की ने कहा कि भारतीय हिंदी में खुद को व्यक्त करना पसंद करते हैं। मॉस्को, सेंट पीटर्सबर्ग और कजान में हिंदी कोर्स में छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

4 Min Read

रूस की यूनिवर्सिटियों में हिंदी पढ़ाने की लहर तेज हो रही है, और ये भारत के साथ उसकी गहरी दोस्ती का नया प्रतीक बन रहा है। रूस के विज्ञान और उच्च शिक्षा उप मंत्री कॉन्स्टेंटिन मोगिलेव्स्की ने हाल ही में कहा कि हिंदी को बढ़ावा देना रूस की प्राथमिकता है, क्योंकि भारत की विशाल आबादी अब अंग्रेजी के बजाय हिंदी में अपनी भावनाओं को व्यक्त करना पसंद करती है। आइए जानते हैं, कैसे रूस हिंदी को गले लगा रहा है और ये भारत-रूस संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है।

- Advertisement -
Ad image

हिंदी का बढ़ता महत्व: रूस की यूनिवर्सिटियों में नया जोश

रूस में हिंदी अब केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारत के साथ सांस्कृतिक और शैक्षिक पुल का काम कर रही है। मोगिलेव्स्की ने न्यूज एजेंसी TASS को दिए इंटरव्यू में कहा, “भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है, और वहां के लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में हिंदी को प्राथमिकता दे रहे हैं। हम चाहते हैं कि हमारे अधिक से अधिक छात्र हिंदी सीखें।”

उन्होंने बताया कि मॉस्को में कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय, जैसे MGIMO, मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी का एशियाई और अफ्रीकी अध्ययन संस्थान, RSUH और मॉस्को स्टेट लिंग्विस्टिक यूनिवर्सिटी, हिंदी को पढ़ाने में अग्रणी हैं। इन संस्थानों में हिंदी कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, और समूहों का आकार दो से तीन गुना हो गया है।

- Advertisement -
Ad image

ये सिर्फ मॉस्को तक सीमित नहीं है। सेंट पीटर्सबर्ग स्टेट यूनिवर्सिटी और कजान फेडरल यूनिवर्सिटी जैसे रूस के अन्य हिस्सों में भी हिंदी पढ़ाई जा रही है। मोगिलेव्स्की ने कहा, “हिंदी सीखने के इच्छुक रूसी युवाओं के लिए अब पहले से कहीं ज्यादा अवसर हैं।”

भारत-रूस दोस्ती: समय की कसौटी पर खरी

रूस का हिंदी प्रेम उस समय और खास हो जाता है, जब वैश्विक मंच पर भारत और रूस की दोस्ती को चुनौतियां मिल रही हैं। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर 50% टैरिफ लागू किया, लेकिन भारत ने इसे नजरअंदाज करते हुए रूस के साथ अपने व्यापारिक रिश्तों को मजबूत रखने का फैसला किया।

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अगस्त में कहा था, “द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारत और रूस के रिश्ते दुनिया के सबसे स्थिर रिश्तों में से एक रहे हैं।” इस दोस्ती को और मजबूती देने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर 2025 में भारत की आधिकारिक यात्रा करेंगे।

हिंदी: सांस्कृतिक और आर्थिक सेतु

हिंदी को बढ़ावा देना सिर्फ शैक्षिक पहल नहीं, बल्कि भारत और रूस के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को गहरा करने का एक तरीका है। भारत की विशाल आबादी और उसकी बढ़ती वैश्विक उपस्थिति को देखते हुए, हिंदी सीखना रूसी छात्रों के लिए नौकरी और व्यापार के नए अवसर खोल सकता है। साथ ही, ये दोनों देशों के बीच आपसी समझ और सहयोग को बढ़ाने में भी मददगार साबित हो रहा है।

हिंदी के जरिए भारत-रूस की दोस्ती का नया अध्याय

रूस में हिंदी की बढ़ती लोकप्रियता न केवल एक भाषा का विस्तार है, बल्कि ये भारत और रूस के बीच दशकों पुरानी दोस्ती का एक नया रंग है। जैसे-जैसे रूसी विश्वविद्यालयों में हिंदी के छात्रों की संख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान भी मजबूत हो रहा है। पुतिन के मंत्री का य बयान भारत के वैश्विक प्रभाव और हिंदी की ताकत को दर्शाता है।

Keywords Hindi Education, India-Russia Relations, Konstantin Mogilevsky, Moscow Universities, Hindi Language, Cultural Exchange, Vladimir Putin, Trade Tariffs, S Jaishankar

Share This Article
कोई टिप्पणी नहीं

- Advertisement -

- Advertisement -

- Advertisement -

लेटेस्ट
चुटकी शॉट्स
वीडियो
वेबस्टोरी
मेन्यू