भारत के नए उपराष्ट्रपति के तौर पर सीपी राधाकृष्णन ने शपथ ली है। वह एनडीए के उम्मीदवार थे और उन्होंने विपक्ष के संयुक्त प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी को हराया। चुनाव में राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि रेड्डी को केवल 300 वोट हासिल हुए। यह अंतर इस बात को साफ करता है कि एनडीए को संसद में मजबूत समर्थन मिला और विपक्षी खेमे में क्रॉस-वोटिंग की स्थिति रही।
नए उपराष्ट्रपति का राजनीतिक सफर
सीपी राधाकृष्णन का संबंध तमिलनाडु से है। उन्होंने राजनीति की शुरुआत जनसंघ से की थी और बाद में भाजपा के साथ लंबे समय तक जुड़े रहे। वह दो बार लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं और संगठन में भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। अपने शांत स्वभाव और जमीनी जुड़ाव के लिए पहचाने जाने वाले राधाकृष्णन को हमेशा से एक ईमानदार और समर्पित नेता माना जाता रहा है। उपराष्ट्रपति पद तक उनका पहुंचना उनके लंबे राजनीतिक अनुभव और मजबूत छवि का परिणाम है।
LIVE : PM Shri @NarendraModi attends the oath ceremony of Vice President-Elect Thiru CP Radhakrishnan https://t.co/ZcDnnRG9gr
— BJP Gujarat (@BJP4Gujarat) September 12, 2025
सीपी राधाकृष्णन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से दिया इस्तीफा
नए उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद सीपी राधाकृष्णन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके इस्तीफे को स्वीकार किया और जब तक नया राज्यपाल नियुक्त नहीं होता, तब तक गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया। शपथ ग्रहण समारोह में मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी शामिल हुए। इस मौके पर संविधान की मर्यादा और लोकतंत्र की परंपरा का पालन पूरे सम्मान के साथ किया गया।
आने वाले कार्यकाल की चुनौतियां
उपराष्ट्रपति के रूप में राधाकृष्णन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी राज्यसभा की कार्यवाही को सुचारू ढंग से चलाना होगी। देश के मौजूदा राजनीतिक हालात में यह पद और भी अहम हो जाता है क्योंकि संसद में अक्सर तीखी बहसें और टकराव देखने को मिलते हैं। ऐसे में उनके अनुभव और शांत स्वभाव से उम्मीद की जा रही है कि वह सदन में संवाद और संतुलन बनाए रखेंगे। इसके साथ ही वह सरकार और विपक्ष के बीच पुल की भूमिका भी निभा सकते हैं।
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