हिमाचल प्रदेश में मानसून की मार थमने का नाम नहीं ले रही है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) के अनुसार, शनिवार सुबह तक प्रदेश में 574 सड़कें यातायात के लिए बंद पड़ी हैं। सबसे ज्यादा असर कुल्लू और मंडी जिलों पर पड़ा है, जहां क्रमशः 174 और 166 मार्ग अवरुद्ध हैं। शिमला में 48, कांगड़ा में 45 और चंबा में 44 सड़कों पर यातायात पूरी तरह थम गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग भी प्रभावित हुए हैं, जिसमें मनाली-केलांग (NH-03), आनी-जालौरी (NH-305) और ऊना क्षेत्र का NH-503A प्रमुख हैं। इससे न केवल स्थानीय लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है, बल्कि पर्यटन स्थल और ऊपरी घाटियां बाहरी दुनिया से कट गए हैं।
बिजली आपूर्ति पर पड़ा गहरा असर
भारी बारिश और लगातार हो रहे भूस्खलनों का सबसे बड़ा असर बिजली व्यवस्था पर पड़ा है। कुल्लू जिले में ही 138 डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर (DTR) बंद पड़े हैं। कांगड़ा में 176 और मंडी में 64 ट्रांसफार्मर ठप हो गए हैं। इनकी वजह से कई ग्रामीण क्षेत्रों में अंधेरा छा गया है और लोग वैकल्पिक साधनों पर निर्भर हैं। बारिश के बीच मरम्मत का काम चल रहा है, लेकिन फिसलन और नये भूस्खलनों के कारण टीमें मुश्किलों से जूझ रही हैं।
जल योजनाएं भी हुई अस्त-व्यस्त
राज्य में पेयजल आपूर्ति की स्थिति भी बेहद खराब है। शिमला जिले में 73, मंडी में 52 और चंबा में 21 जल योजनाएं प्रभावित हैं। इसके चलते स्थानीय लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है और कई इलाकों में टैंकरों से आपूर्ति की जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार बारिश से जलस्त्रोत गाद से भर गए हैं, जिसके कारण पंपिंग और वितरण तंत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
मौतों का बढ़ता आंकड़ा थमने का नाम ही नहीं ले रहा
इस बार का मानसून हिमाचल के लिए बेहद घातक साबित हो रहा है। अब तक 386 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें से 218 मौतें सीधे तौर पर बारिश से जुड़ी घटनाओं जैसे भूस्खलन, बाढ़, मकान गिरने और डूबने से हुई हैं, जबकि 168 लोगों की मौत सड़क हादसों में हुई है। फिसलन और टूटे-फूटे रास्तों ने दुर्घटनाओं का खतरा और बढ़ा दिया है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे अनावश्यक यात्रा से बचें और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से दूर रहें। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि मध्य सितंबर तक मानसून सक्रिय रह सकता है, ऐसे में सतर्कता ही सुरक्षा का सबसे बड़ा उपाय है।
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