दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन (DUSU) चुनाव को लेकर एक ऐतिहासिक आदेश जारी किया है, जो छात्र राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। कोर्ट ने साफ कहा है कि डूसू चुनाव के बाद विजयी उम्मीदवार जश्न मना सकते हैं, लेकिन विजय जुलूस निकालने पर पूरी तरह से पाबंदी होगी। ये फैसला कैंपस और शहर के किसी भी हिस्से में जुलूस पर रोक लगाता है। बिहार विधानसभा चुनाव से शुरू हो रहे ईवीएम के रंगीन मतपत्रों की तरह, ये आदेश भी चुनावी प्रक्रिया को और व्यवस्थित बनाने की दिशा में एक कदम है। आइए जानते हैं इस फैसले की पूरी कहानी और इसके पीछे की वजह।
दिल्ली हाईकोर्ट का सख्त आदेश
मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने डूसू चुनाव के दौरान होने वाली अराजकता और संपत्ति को नुकसान से बचाने के लिए ये सख्त फैसला सुनाया। कोर्ट ने न केवल विजय जुलूस पर रोक लगाई, बल्कि दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली पुलिस और नागरिक प्रशासन को निर्देश दिया कि वे चुनाव के दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय, पुलिस, उम्मीदवार और उनके संगठन मिलकर ये सुनिश्चित करें कि कोई भी नियम तोड़ा न जाए।
क्या है नया नियम?
विजयी उम्मीदवार जश्न मना सकते हैं, लेकिन कैंपस या शहर में जुलूस निकालना पूरी तरह प्रतिबंधित।
दिल्ली पुलिस और यूनिवर्सिटी प्रशासन को हर संभव उपाय करने का आदेश।
नियमों का उल्लंघन रोकने की जिम्मेदारी सभी पक्षों पर।
क्यों लिया गया ये फैसला?
ये आदेश अधिवक्ता प्रशांत मनचंदा की एक याचिका के जवाब में आया, जिसमें उन्होंने डूसू (DUSU) चुनाव के दौरान नियमों के उल्लंघन और संपत्ति को होने वाले नुकसान पर चिंता जताई थी। अतीत में डूसू चुनावों के दौरान जुलूसों में अराजकता, तोड़फोड़ और कैंपस संपत्ति को नुकसान की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। कोर्ट ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि विश्वविद्यालय, दिल्ली पुलिस, उम्मीदवार और उनके संगठन मिलकर ये सुनिश्चित करेंगे कि नियामक उपायों का कोई उल्लंघन न हो।”
डूसू (DUSU) चुनाव और अराजकता का इतिहास
डूसू चुनाव दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों के बीच उत्साह और जोश का प्रतीक हैं, लेकिन कई बार ये जुलूस और उत्सव अराजकता का रूप ले लेते हैं। विजय जुलूसों के दौरान कैंपस में तोड़फोड़, ट्रैफिक जाम और हॉस्टल परिसर में गड़बड़ी की शिकायतें आम रही हैं। हाईकोर्ट का ये फैसला इन समस्याओं पर लगाम लगाने की दिशा में एक ठोस कदम है।
मतदाताओं और उम्मीदवारों के लिए क्या मायने?
ये फैसला न केवल कैंपस में शांति और अनुशासन बनाए रखने में मदद करेगा, बल्कि छात्र नेताओं को भी जिम्मेदारी के साथ जश्न मनाने की सीख देगा। अब उम्मीदवारों को अपने समर्थकों के साथ उत्सव मनाने के लिए रचनात्मक और शांतिपूर्ण तरीके अपनाने होंगे। ये बदलाव छात्र राजनीति को एक नई दिशा दे सकता है, जहां उत्साह के साथ-साथ अनुशासन भी प्राथमिकता होगी।
दिल्ली यूनिवर्सिटी के लिए नया अध्याय
हाईकोर्ट का ये आदेश डूसू चुनावों को और व्यवस्थित और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ये न केवल कैंपस में शांति सुनिश्चित करेगा, बल्कि छात्रों को ये संदेश भी देगा कि लोकतंत्र का उत्सव जिम्मेदारी के साथ मनाया जाना चाहिए। बिहार में ईवीएम के रंगीन मतपत्रों की तरह, ये फैसला भी भारत की चुनावी प्रक्रिया को और मजबूत करने का एक प्रयास है।
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