केरल का सबसे रंगारंग और प्रिय त्योहार ओणम अपने छठे दिन ‘त्रिकेट्टा’ के साथ आज और भी उत्साहपूर्ण हो गया है। ये 10 दिवसीय उत्सव, जो राजा महाबली के धरती पर आने की कथा से जुड़ा है, परिवारों को एकजुट करने और मलयाली संस्कृति को जीवंत करने का प्रतीक है। आइए, जानते हैं त्रिकेट्टा दिवस का महत्व और इसकी खास परंपराएं।
त्रिकेट्टा: परिवार और एकता का उत्सव
त्रिकेट्टा, ओणम का छठा दिन, परिवारों के पुनर्मिलन और सामुदायिक एकता का विशेष दिन है। इस दिन लोग अपने पैतृक घरों में लौटते हैं, प्रियजनों के साथ समय बिताते हैं और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। ये दिन मलयाली समुदाय में आपसी स्नेह, खुशी और एकजुटता को बढ़ावा देता है। त्रिकेटा न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, जो ओणम की भावना को और गहरा करता है।
त्रिकेट्टा की प्रमुख परंपराएं
- पारिवारिक मिलन: दूर-दराज रहने वाले परिवार के सदस्य अपने घरों में एकत्र होते हैं, जिससे रिश्तों में नई गर्माहट आती है।
- उपहारों का आदान-प्रदान: लोग एक-दूसरे को उपहार देकर स्नेह और खुशी का इजहार करते हैं, जो इस दिन की रौनक बढ़ाता है।
- विशाल पूकलम: घरों के प्रवेश द्वार पर बनने वाली फूलों की रंगोली (पूकलम) इस दिन और भव्य हो जाती है, जिसमें रंग-बिरंगे फूलों की पंखुड़ियां शामिल की जाती हैं।
- सांस्कृतिक आयोजन: सामुदायिक स्तर पर नृत्य, संगीत और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो उत्सव की चमक को दोगुना करते हैं।
- स्वादिष्ट व्यंजन: इस दिन पारंपरिक मलयाली भोजन तैयार किया जाता है, जिसमें कई तरह के स्वादिष्ट पकवान शामिल होते हैं।
ओणम: केरल की सांस्कृतिक धरोहर
ओणम केरल का सबसे बड़ा त्योहार है, जो मलयालम कैलेंडर के चिंगम माह में 10 दिनों तक मनाया जाता है। ये पर्व राजा महाबली के स्वर्णिम शासन और भगवान विष्णु के वामन अवतार से जुड़ा है। त्रिकेट्टा जैसे दिन इस उत्सव को और भी खास बनाते हैं, क्योंकि ये परिवार, संस्कृति और समुदाय को एक मंच पर लाता है। पूकलम, नौका दौड़ (वल्लम कली), और ओणम साद्या जैसे आयोजन केरल की समृद्ध परंपराओं को दर्शाते हैं।
त्रिकेट्टा के बाद ओणम का उत्साह 5 सितंबर को थिरुवोणम दिवस के साथ अपने चरम पर पहुंचेगा। ये दिन ओणम का मुख्य दिन है, जब भव्य पूजा, साद्या और उत्सव आयोजित किए जाते हैं। त्रिकेट्टा का दिन इस भव्य उत्सव की नींव तैयार करता है, जिसमें सामुदायिक एकता और सांस्कृतिक गौरव की झलक दिखती है। केरल में आज त्रिकेट्टा की रौनक हर तरफ छाई है। को क्या आप भी इस उत्सव का हिस्सा बन रहे हैं?
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