नेपाल में अराजकता और हिंसा का सीधा असर पड़ोसी देश भारत पर पड़ रहा है। फिलहाल बिहार के गया जी में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले का आयोजन हो रहा है। हिंदू बाहुल्य(Hindu majority) राष्ट्र होने के कारण नेपाल से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पिंडदान करने के लिए गया जी आते थे। विष्णुपद मंदिर कमेटी की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार कम से कम 50,000 श्रद्धालु नेपाल से यहां पिंडदान के लिए आते थे।
फिलहाल भारत नेपाल सीमा सुरक्षा के दृष्टिकोण से पूरी तरह सील कर दिया गया है। नेपाल की सीमा पर कई गाड़ियां फंसी हुई है। ऐसे में नेपाल से आने वाले पिंडदानी भी यहां नहीं आ सकते हैं। इस तरह से गया जी में आयोजित पितृपक्ष मेले में कम से कम 50,000 श्रद्धालुओं की कमी आने की संभावना बढ़ गई है। जिसका सीधा प्रभाव मेला तथा इससे संबंधित व्यवसाय पर पड़ने लगा है।
जानकारी के अनुसार नेपाल के कई नागरिक गया जी के होटल की ऑनलाइन बुकिंग पहले से हीं करा रखे थे। स्थानीय टूरिस्ट गाड़ियों की भी बुकिंग नेपालियों द्वारा कराई गई थी, लेकिन नेपाल में जिस तरह से फिलहाल स्थिति है ऐसे में अब वहां से लोगों की आने की संभावना नजर नहीं आ रहा है। हालांकि मेले की शुरुआत में ही नेपाल से कई श्रद्धालु यहां पहुंच भी गए थे इसमें से कुछ अभी भी गया जी में ही फंसे हुए हैं।
बताते चलें कि नेपाल में अचानक विरोध चरम पर पहुंच गया। देखते हीं देखते हिंसा और आगजनी शुरू हो गई। प्रधानमंत्री- राष्ट्रपति समेत सभी मंत्रियों को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों की मौत भी हो गई। फिलहाल नेपाल सेना के नियंत्रण में है। पड़ोसी देश में घटी इस घटना को लेकर भारत भी पूरी तरह से सतर्क है। खासकर बिहार से सटे नेपाल बॉर्डर पर विशेष चौकसी रखी जा रही है। इस हालत में नेपाल के पर्यटक को भारत आना संभव नहीं है।
पितृपक्ष मेला के आयोजन से जुड़े लोगों का कहना है कि नेपाल में हुए इस हिंसक घटना से पितृपक्ष मेले पर काफी प्रभाव पड़ा है। नेपाल के लोग जब अपने पितरों के पिंडदान करने के लिए यहां आते थे तो उन लोगों द्वारा कई सामानों की खरीदारी भी की जाती थी। इससे स्थानीय दुकानदारों के साथ-साथ होटल संचालक और टूरिस्ट वाहनों के मालिकों को नुकसान हो रहा है।
Keywords – Tourism, Nepal Movement, Business, International Situation, Neighboring Countries