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जानिए तांबे के बर्तन में पानी पीने के फायदे-नुकसान, और किसे पीना चाहिए और किसे नहीं!

आयुर्वेद में तांबे के बर्तन का पानी सेहत के लिए फायदेमंद माना गया है। यह पाचन सुधारने, एनीमिया और जोड़ों के दर्द में राहत देने में मदद करता है, लेकिन ज्यादा सेवन से कॉपर टॉक्सिसिटी का खतरा हो सकता है।

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भारतीय परंपरा में तांबे के बर्तन में पानी पीना सदियों से प्रचलित है। आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों ही तांबे के गुणों को मान्यता देते हैं। तांबे में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व शरीर को कई तरह से लाभ पहुंचाते हैं। लेकिन यह सभी के लिए सुरक्षित नहीं है।

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आइए से जानते हैं कि तांबे के बर्तन का पानी किन बीमारियों में फायदेमंद है, और किसे नहीं पीना चाहिए और इसके गलत इस्तेमाल से क्या नुकसान हो सकते हैं।

तांबे के बर्तन का पानी किन बीमारियों में फायदेमंद

  1. पाचन समस्याएं (Gas, Acidity, Constipation): तांबे का पानी पेट को ठंडक देता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है। इससे एसिडिटी, गैस और कब्ज की समस्या कम होती है।
  2. एनीमिया (Anemia):
    कॉपर शरीर में आयरन के अवशोषण (Iron Absorption) को बढ़ाता है। इससे हीमोग्लोबिन बेहतर बनता है और एनीमिया की समस्या में राहत मिलती है।
  3. अर्थराइटिस और जोड़ों का दर्द:
    तांबे के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन और दर्द को कम करने में मदद करते हैं, खासकर गठिया के मरीजों के लिए यह लाभकारी हो सकता है।
  4. थायराइड और हार्मोनल बैलेंस:
    सुबह खाली पेट तांबे का पानी पीने से थायराइड हार्मोन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है और मेटाबॉलिज्म सही रहता है।
  5. डिटॉक्सिफिकेशन (Detoxification):
    तांबे का पानी शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में सहायक होता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।

सुबह खाली पेट तांबे का पानी पीने के कई फायदे हैं,शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर करता है एनीमिया और थायराइड में लाभ देता है,हार्मोनल असंतुलन को कम करता है,पाचन क्रिया को दुरुस्त रखता है

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किन लोगों को तांबे का पानी नहीं पीना चाहिए?

गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं को नहीं पीना चाहिए, विल्सन डिजीज (Wilson Disease) से पीड़ित लोग, जिनके शरीर में कॉपर पहले से अधिक होता है, जिन लोगों को अक्सर दस्त, उल्टी, मतली, पेट में जलन या गंभीर ब्लीडिंग डिसऑर्डर रहते हैं उन्हें भी तांबे के बर्तन में पानी नहीं पीना चाहिए ।

तांबे के बर्तन का गलत इस्तेमाल और नुकसान

कॉपर टॉक्सिसिटी का खतरा अगर तांबे का अधिक सेवन हो जाए तो मतली, उल्टी, दस्त, चक्कर और पेट दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लंबे समय तक ओवरडोज़ लिवर और किडनी को नुकसान पहुंचा सकती है। खट्टी चीजें न रखें दही, दूध, नींबू, अचार या खट्टी चीजें तांबे के बर्तन में कभी न रखें। इससे रासायनिक प्रतिक्रिया होकर हानिकारक टॉक्सिन्स बन सकते हैं। पुराने या घिसे हुए बर्तन का प्रयोग न करें अंदर से घिसे हुए तांबे के बर्तन से कॉपर सीधे पानी में मिल सकता है, जिससे जहर (Toxicity) की संभावना बढ़ जाती है। गर्मी के मौसम में सावधानी
तांबा शरीर में गर्मी बढ़ा सकता है, इसलिए गर्मियों में इसका अत्यधिक सेवन न करें।

तांबे के बर्तन में पानी पीने का सही तरीका

रातभर पानी तांबे के बर्तन में रखें और सुबह खाली पेट पिएं। दिनभर तांबे का पानी बार-बार न पिएं, सिर्फ 1–2 गिलास पर्याप्त है। नियमित सेवन कुछ हफ्तों तक करें, लगातार लंबे समय तक पीना जरूरी नहीं। तांबे के बर्तन का पानी पाचन, एनीमिया, थायराइड और अर्थराइटिस जैसी समस्याओं में राहत देता है। लेकिन गर्भवती महिलाएं, विल्सन डिजीज के मरीज और जिनको बार-बार उल्टी-दस्त की समस्या होती है, उन्हें इससे बचना चाहिए। सही तरीके और सीमित मात्रा में इसका सेवन ही स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।

डिस्क्लेमर

लेख केवल सामान्य जानकारी और जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें बताई गई जानकारी किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह (Medical Advice) नहीं है। तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने या इससे जुड़ी किसी भी घरेलू विधि को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

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