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इष्टि 2025: 8 सितंबर को यज्ञ से पूरी करें अपनी मनोकामनाएं

8 सितंबर 2025 को वैष्णव संप्रदाय के भक्त अन्वधान और इष्टि मनाएंगे। उपवास और यज्ञ के जरिए भगवान विष्णु की पूजा करें। जानें इन पवित्र दिनों का महत्व।

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हिंदू धर्म में वैष्णव संप्रदाय के लिए अन्वधान और इष्टि दो खास दिन हैं। ये दिन अमावस्या और पूर्णिमा को मनाए जाते हैं, यानी हर महीने में 2 बार। इस साल सितंबर में अन्वधान और इष्टि 5 तारीख को मनाई जाएगी। वैष्णव संप्रदाय के लोग इन दिनों को भगवान विष्णु की भक्ति और विशेष अनुष्ठानों के लिए समर्पित करते हैं। इन दिनों में उपवास और यज्ञ जैसे कार्य किए जाते हैं, जो आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं।

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अन्वधान का महत्व

अन्वधान का मतलब है अग्निहोत्र (हवन) के बाद पवित्र अग्नि को जलाए रखने के लिए ईंधन डालने की प्रक्रिया। इस दिन वैष्णव संप्रदाय के भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं। यह उपवास भगवान विष्णु के प्रति श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है। मान्यता है कि अन्वधान का व्रत रखने से मन शुद्ध होता है और भक्तों को भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। यह दिन भक्ति और आत्म-संयम का अवसर देता है।

इष्टि क्या है

इष्टि एक ऐसा अनुष्ठान है, जिसमें भक्त अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। यह एक छोटा यज्ञ होता है, जो कुछ घंटों तक चलता है। इसमें अग्नि के सामने मंत्रों का जाप और हवन सामग्री अर्पित की जाती है। इष्टि का मतलब है इच्छा, और यह अनुष्ठान भक्तों को उनकी मनोकामनाएं पूरी करने में मदद करता है। वैष्णव संप्रदाय में इष्टि को बहुत पवित्र माना जाता है, क्योंकि यह भगवान विष्णु के साथ सीधा संबंध जोड़ता है।

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वैष्णव संप्रदाय की मान्यताएं

वैष्णव संप्रदाय, जिसे वैष्णववाद भी कहते हैं, भगवान विष्णु को सर्वोच्च मानता है। हिंदू त्रिमूर्ति में भगवान विष्णु को रक्षक माना जाता है, जबकि ब्रह्मा सृष्टिकर्ता और शिव संहारक हैं। वैष्णव भक्तों के लिए भगवान विष्णु ही सबकुछ हैं। उनके दस अवतार, जिन्हें दशावतार कहा जाता है, बहुत महत्वपूर्ण हैं। इनमें से नौ अवतार हो चुके हैं, और दसवां अवतार कल्कि के रूप में कलियुग में प्रकट होगा।

अन्वधान और इष्टि के नियम

अन्वधान के दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और पूरे दिन उपवास रखते हैं। अगले दिन इष्टि के दौरान यज्ञ किया जाता है। यज्ञ में शुद्ध घी, लकड़ी और हवन सामग्री का उपयोग होता है। भक्तों को इस दौरान शुद्धता और भक्ति का ध्यान रखना चाहिए। क्रोध, झूठ और अपवित्रता से बचना जरूरी है। यह अनुष्ठान किसी पवित्र स्थान या घर में किए जा सकते हैं।

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