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भारत में शादी के बाद की कई परंपराएं ऐसी हैं, जो पीढ़ियों से चली आ रही हैं। इनमें से एक मान्यता है कि नई दुल्हन को मायके से ससुराल अचार नहीं लाना चाहिए। सुनने में यह बात थोड़ी अजीब लग सकती है, लेकिन इसके पीछे धार्मिक, ज्योतिष और वैज्ञानिक कारण बताए जाते हैं। भोपाल के ज्योतिष और वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा के मुताबिक, यह परंपरा रिश्तों में प्यार और एकता बनाए रखने के लिए बनाई गई है। अचार की खटास को रिश्तों में खटास से जोड़ा जाता है, और इसलिए इसे ससुराल लाने से मना किया जाता है।

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रिश्तों में खटास का डर

कहा जाता है कि अचार की तासीर खट्टी होती है, और खट्टी चीजें ससुराल ले जाने से रिश्तों में अनबन हो सकती है। ज्योतिष के हिसाब से, अगर कोई नई दुल्हन मायके से अचार लाती है, तो यह वैवाहिक जीवन में छोटी-मोटी बातों पर झगड़े या तनाव का कारण बन सकता है। इसीलिए इसे अपशकुन माना जाता है। पुरानी कहावत भी यही कहती है कि रिश्तों को हमेशा मीठा रखना चाहिए, और अचार की खटास इस मीठेपन को बिगाड़ सकती है। यह मान्यता खासकर ग्रामीण इलाकों में बहुत प्रचलित है।

मायके के प्रति लगाव का संकेत

कई लोग मानते हैं कि मायके से अचार लाना यह दिखाता है कि दुल्हन का मन अभी ससुराल से पूरी तरह नहीं जुड़ा। इससे ससुराल में यह भावना पैदा हो सकती है कि वह अपने मायके को ज्यादा तवज्जो दे रही है। इससे परिवार में असमानता या पक्षपात का माहौल बन सकता है, जो रिश्तों में दूरी ला सकता है। बुजुर्गों का कहना है कि नई दुल्हन को ससुराल में अपनी जगह बनाने के लिए ऐसी चीजों से बचना चाहिए, जो गलतफहमी पैदा करें।

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घर की एकता पर असर

शादी को सिर्फ दो लोगों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का मिलन माना जाता है। परंपराओं के मुताबिक, नई दुल्हन की जिम्मेदारी होती है कि वह ससुराल में एकता और प्यार बनाए रखे। मायके से अचार लाने को कुछ लोग इस एकता को तोड़ने वाला मानते हैं। इसीलिए बुजुर्ग सलाह देते हैं कि इस परंपरा का पालन करना रिश्तों में सम्मान और सामंजस्य बनाए रखने में मदद करता है। यह छोटी सी बात परिवार में बड़े झगड़ों को रोक सकती है।

तेल और यात्रा का अशुभ योग

अचार में तेल का इस्तेमाल होता है, और ज्योतिष में मान्यता है कि यात्रा के दौरान तेल ले जाना शुभ नहीं होता। तेल को यात्रा के सकारात्मक प्रभाव को कम करने वाला माना जाता है। इस वजह से मायके से ससुराल अचार लाना अशुभ माना जाता है। खासकर लंबी दूरी की यात्रा में, यह परंपरा और भी सख्ती से मानी जाती है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

वैज्ञानिक नजरिए से भी मायके से अचार लाना सही नहीं माना जाता। हर घर में अचार बनाने का तरीका अलग होता है, और इसमें इस्तेमाल होने वाली सामग्री भी अलग-अलग होती है। लंबी यात्रा के दौरान अचार में बैक्टीरिया या संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। अगर अचार सही तरीके से पैक नहीं हुआ, तो यह खराब हो सकता है, जो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। इसीलिए हाइजीन के लिहाज से भी इस परंपरा को मानना बेहतर माना जाता है।

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