दिल्ली के धौला कुआं इलाके में 14 सितंबर को हुए भीषण सड़क हादसे ने पूरे शहर को हिला दिया था। BMW कार की टक्कर से 52 वर्षीय नवजोत सिंह, जो वित्त मंत्रालय में डिप्टी सेक्रेटरी थे, की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उनकी पत्नी संदीप कौर घायल हो गईं। हादसा उस समय हुआ जब दंपत्ति अपने घर हरिनगर लौट रहे थे। पुलिस जांच के अनुसार, BMW कार ने मेट्रो पिलर नंबर 67 के पास सिंह की बाइक को पीछे से जोरदार टक्कर मारी। इस टक्कर के बाद बाइक एक DTC बस से जा टकराई। हादसे के बाद आरोपी चालक गगनप्रीत मक्कड़ को गिरफ्तार किया गया और अदालत ने पहले उसे दो दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा।
अदालत में पेश की गईं दलीलें
गगनप्रीत मक्कड़ ने अदालत में अपनी जमानत याचिका दाखिल करते हुए खुद को निर्दोष बताया। याचिका में कहा गया कि यह घटना एक “दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना” थी और इसमें किसी तरह की लापरवाही या जानबूझकर की गई गलती शामिल नहीं थी। मक्कड़ की ओर से कहा गया कि गाड़ी चलाते समय वाहन अनियंत्रित होकर डिवाइडर से टकरा गया और पलट गया, जिससे अन्य वाहन इसकी चपेट में आ गए। साथ ही आरोपी ने यह भी दावा किया कि वह जांच में पूरी तरह से सहयोग कर रही हैं। अदालत अब इस जमानत याचिका पर 20 सितंबर को सुनवाई करेगी, लेकिन तब तक उनकी न्यायिक हिरासत को 27 सितंबर तक बढ़ा दिया गया है।
‘जानबूझकर की गई लापरवाही’ का आरोप
वहीं दूसरी ओर, मृतक नवजोत सिंह की पत्नी संदीप कौर ने अदालत और पुलिस को दिए बयान में गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि हादसे के बाद जब उन्होंने गगनप्रीत से नजदीकी अस्पताल ले जाने की अपील की, तो उसने जानबूझकर उन्हें 19 किलोमीटर दूर स्थित अस्पताल ले जाकर देर कर दी। संदीप कौर ने इसे ‘जानबूझकर की गई लापरवाही’ करार दिया। यह बयान मामले को और पेचीदा बना रहा है, क्योंकि अब अदालत को यह तय करना होगा कि यह वाकई महज एक दुर्घटना थी या फिर लापरवाही और गैर-जिम्मेदारी का नतीजा।
आगे की जांच प्रक्रिया
यह मामला सिर्फ एक सड़क हादसे का नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और कानूनी प्रक्रिया का भी है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी की मौत और उनकी पत्नी की शिकायत ने इसे और गंभीर बना दिया है। पुलिस अब तकनीकी साक्ष्यों, चश्मदीद गवाहों और मेडिकल रिपोर्ट्स के आधार पर जांच आगे बढ़ा रही है। अदालत में अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगी, जहां आरोपी की जमानत पर बहस होगी। इस बीच, न्यायिक हिरासत बढ़ने से गगनप्रीत मक्कड़ को अभी और जेल में रहना होगा। यह मामला न सिर्फ दिल्ली, बल्कि पूरे देश में सड़क सुरक्षा और ड्रंक-ड्राइविंग जैसे मुद्दों पर भी बहस छेड़ रहा है।
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