- Advertisement -

बिहार चुनाव से पहले जीतन राम मांझी की प्रेशर पॉलिटिक्स! 20 से कम सीट मिला तो 100 सीटों पर खड़ा करेंगे उम्मीदवार, एनडीए में मचा घमासान

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने किया ऐलान, 20 से कम सीट मिला तो अकेले लड़ेंगे चुनाव

5 Min Read

हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) सुप्रीमो केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने अपने बयान से एनडीए में हलचल पैदा कर दी है। फिलहाल बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में केंद्रीय मंत्री मांझी ने सीट शेयरिंग को लेकर बड़ा बयान दे दिया है। मांझी ने कहा उन्हें कम से कम 20 सीटें नहीं मिलीं तो वह 100 सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे।

- Advertisement -
Ad image

मतलब साफ है, उन्होंने एकला चलो के इरादे जाहिर कर दिए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अपने जन्म दिन पर आयोजित एक कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि अब तक पंजीकृत दल के रूप में चिंहित हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा को राज्य दल बनने के लिए कम से कम 8 विधायकों की जरूरत है, या फिर छह प्रतिशत वोट चाहिए। इस अनिवार्यता के लिए उन्हें कम से कम 20 सीटें तो मिलनी ही चाहिए।

वर्ष 2020 के विधानसभा चुनावों के दौरान एनडीए के घटक के रूप में हम को सात सीटें मिली थीं, जिनमें चार पर पार्टी के उम्मीदवार जीते थे। गयाजी जिले के इमामगंज विधानसभा क्षेत्र से स्वंय जीतन राम मांझी चुनाव जीते थे।

- Advertisement -
Ad image

मांझी के ताजा बयान से जहां एनडीए के घटक दलों में हलचल मच गई है, वहीं राजनीतिक विश्लेषक सीट शेयरिंग के पूर्व इसे सामान्य बयान बता रहे हैं। 81 साल के जीतन राम मांझी ने गठबंधन दलों के बीच खलबली मचाने वाले इस बयान के लिए जो समय चुना है, वह भी महत्वपूर्ण है। बिहार में एनडीए गठबंधन के प्रमुख घटक भाजपा के सबसे बड़े नेता और देश के प्रधानमंत्री 15 सितम्बर को बिहार आ रहे हैं। ऐसे में पीएम के आगमन के चंद घंटे पूर्व दिए गए इस बयान का मतलब साफ है। प्रेशर की राजनीति। बिहार के सीमांचल क्षेत्र के प्रमुख जिले पूर्णिया में पीएम का कार्यक्रम है। बिहार में एनडीए के मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में नीतीश कुमार का नाम लेने से बच रही भाजपा और साथी दलों के लिए मांझी ने नई मुसीबतें पैदा कर दी हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री के विद्रोही कदम से मगध क्षेत्र की 26 सीटों पर एनडीए को व्यापक नुकसान झेलना पड़ सकता है। जीतन राम मांझी के कोर वोटर समझे जाने वाले मुसहर-भुइयां समाज की इस इलाके में 5-6 प्रतिशत आबादी है। पहले से ही मगध में मात खा चुके एनडीए के नेता मांझी को नाराज करने का मतलब जरूर समझ रहे होंगे। मगध की 26 सीटों में से 19 (राजद-14, कांग्रेस-3 और भाकपा माले-2) पर 2020 के विधानसभा चुनावों के दौरान महागठबंधन दलों ने कब्जा कर लिया था। इस बार भी मगध के अपने चुनावी किले को बचाए रखने के लिए महागठबंधन के नेताओं के राजनीतिक अभियान जारी हैं। हाल ही में 16 दिनों की राहुल-तेजस्वी की वोट अधिकार यात्रा मगध के गया और औरंगाबाद सहित कई जिलों से होकर गुजरी थी।

अबतक कम से कम आठ बार दल बदल चुके जीतन राम मांझी 70 के दशक में कांग्रेस के कार्यकर्ता के रूप में राजनीति में शामिल हुए थे। वह वर्ष 1980 में पहली बार कांग्रेस की टिकट से विधायक बने थे। वर्ष 1990 में जब मंडल आंदोलन उभार पर था तो उन्होंने पाला बदलकर जनता दल की सदस्यता ले ली। वर्ष 1997 में जब राष्ट्रीय जनता दल बना तो वह लालू के साथ राजद में आ गए। लालू यादव का उन्हें नजदीकी समझा जाता था। काग्रेस के बिंदेश्वरी दुबे, सत्येंद्र नारायण सिंहा और जगन्नाथ मिश्रा के मंत्रिमंडल के अलावा लालू-राबड़ी काल में भी वह मंत्री रहे। 2005 में जदयू के उभार के समय वे नीतीश कुमार के साथ हो गए और मंत्री भी बने। नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद साथी होने के कारण वर्ष 2014 के मई महीने में वह दिन भी आया जब उन्हें मुख्यमंत्री का ताज मिला। हालांकि विश्वास में कमी के कारण वह सिर्फ 9 महीने ही इस पद पर रह सके। फरवरी 2015 में उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी।

keywords Bihar politics, Hindustani Awam Morcha, former Chief Minister, Union Minister

Share This Article
कोई टिप्पणी नहीं

- Advertisement -

- Advertisement -

- Advertisement -

लेटेस्ट
चुटकी शॉट्स
वीडियो
वेबस्टोरी
मेन्यू