कर्नाटक के कुंडागोल में एक बेहद हैरान कर देने वाला और दुर्लभ मामला सामने आया है। दरअसल कर्नाटक मेडिकल कॉलेज और रिसर्च इंस्टीट्यूट (KMCRI) में एक बच्चे के जन्म को दौरान जो हुआ उसने डॉक्टरों को चौंका दिया है। मेडिकल साइंस में इस तरह का ये अनोखा मामला सामना आने के बाद डॉक्टर्स का सिर चकरा गया है। दरअसल एक बच्चे के पेट में एक अन्य अविकसित भ्रूण विकसित पाया गया है।जिसने मेडिकल साइंस को चैलेंज कर दिया है।
KMCRI के मेडिकल सुपरिटेंडेंट, डॉक्टर ईश्वर हसाबी के मुताबिक 23 सितंबर 2025 को एक महिला ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया था, लेकिन बाद में जांच में पता चला कि नवजात के पेट में एक दूसरा भ्रूण मौजूद है।
क्या है Fetus in Fetu (FIF)?
फीटस-इन-फीटू (Fetus in Fetu) एक अत्यंत दुर्लभ जन्मजात विसंगति है, जिसमें एक अल्पविकसित और असामान्य रूप से विकसित भ्रूण दूसरे भ्रूण के शरीर के अंदर विकसित होने लगता है। यह स्थिति आमतौर पर शिशु के पेट में एक बड़े गांठ (मास) के रूप में पाई जाती है। इस गांठ में अक्सर रीढ़ की हड्डी, खोपड़ी की हड्डियां और अन्य अविकसित अंग शामिल होते हैं। डॉ. हसाबी ने बताया कि बच्चे की मां कुंडागोल तालुका की रहने वाली हैं और उन्होंने अस्पताल में सभी नियमित जांचें करवाई थीं, जिसके बावजूद यह मामला सामने आया।
बच्चे और मां की स्थिति
डॉक्टर हसाबी के अनुसार, बच्चे और मां दोनों सुरक्षित हैं। यह दंपत्ति का दूसरा बच्चा है।परिवार में कोई स्वास्थ्य समस्या का इतिहास नहीं होने के कारण यह मामला और भी दुर्लभ हो जाता है।
डॉक्टरों ने बताया कि आंतरिक भ्रूण पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है।आगे के विस्तृत परीक्षणों की आवश्यकता है। KMCRI के डॉक्टर इस दुर्लभ स्थिति पर गहराई से रिसर्च करने के लिए इस मामले को मेडिकल जर्नल में साझा करने की योजना बना रहे हैं।
मेडिकल साइंस में दुर्लभ मामला
KMCRI के डॉक्टरों ने बताया कि यह शिशु के शरीर में किसी तरह की असामान्य वृद्धि है। उन्होंने कहा कि, “नवजात शिशु के पेट में रीढ़ की हड्डी और परजीवी जुड़वां की खोपड़ी की हड्डियों जैसी अल्पविकसित संरचनाएं विकसित हो रही हैं।
यह मामला इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि फरवरी 2025 में भी बेलगावी में KLES के डॉ. प्रभाकर कोरे अस्पताल से ऐसा ही FIF का एक मामला सामने आया था, जहां डॉक्टरों ने अंदर बढ़ रहे भ्रूण को सफलतापूर्वक हटा दिया था।
दुनिया में भर में कितने मामले?
फीटस-इन-फीटस के मामले अत्यधिक दुर्लभ हैं,विभिन्न चिकित्सा रिपोर्टों और अध्ययनों के अनुसार, इसकी दुर्लभता और दर्ज किए गए मामलों की संख्या इस प्रकार है की बात करें तो ‘फीटस इन फीटस’ की स्थिति लगभग 5 लाख जीवित जन्मों में से केवल एक में पाई जाती है। दुनिया भर में आज तक, ‘फीटस इन फीटस’ के लगभग 200-300 के बीच के मामले ही दर्ज किए गए हैं। हालांकि ज्यादातर स्रोत इसकी संख्या 200 से कम बताते हैं।
भारत में FIF के मामले
भारत में भी यह स्थिति अत्यंत दुर्लभ है। विभिन्न चिकित्सा प्रकाशनों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में अब तक फीटस-इन-फीटू (Fetus in Fetu) के 10 से 20 के बीच के मामले सामने आए हैं।
पिछले महीने भी एक ऐसी ही बच्ची का सफल इलाज किया गया था जहां 1 महीने की बच्ची के पेट में एक नहीं दो-दो भ्रूण थे।
पिछले साल यानी 2024 में इसी महीने में मध्यप्रदेश के सागर जिले से भी एक ऐसा ही मामला सुर्खियों में छाया रहा।
क्या हैं सर्जिकल चुनौतियां?
- एक महीने के शिशु की सर्जरी करने में अनेक जोखिम होते हैं।
- ऑपरेशन से पहले शिशु को स्थिर करना ज़रूरी
- बाल चिकित्सा सर्जरी और एनेस्थीसिया के विशेषज्ञों का तालमेल
- भ्रूण को सावधानीपूर्वक निकालना
बहरहाल फीटस-इन-फीटू मामले ने फिर डॉक्टर्स को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि इस तरह के मामले सामने आने के बाद इनकी बढ़ती चुनौती कम करने के लिए मेडिकल साइंस कितना आगे बढ़ रहा है।
Keywords: Foetus In Fetu / FIF, Karnataka Medical College NEWS, Rare Congenital Anomaly, Dr. Ishwar Hasabi On FIF, Newborn Baby News, Medical Science On Parasitic Twin