बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी एक गंभीर विवाद में घिर गए हैं। जन सुराज पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है। जन सुराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि सम्राट चौधरी ने लौना परसा नरसंहार केस में खुद को नाबालिग साबित करने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा किए और इस तरह जेल से रिहा हो गए।
क्या हैं जन सुराज पार्टी के आरोप?
जन सुराज पार्टी ने अपने पत्र में कहा है कि सम्राट चौधरी ने साल 1996 में हुए लौना परसा नरसंहार मामले में खुद को नाबालिग बताया था। आरोप है कि उस समय उनकी उम्र 18 साल से अधिक थी, लेकिन उन्होंने जानबूझकर गलत कागजात पेश किए। पार्टी का कहना है कि यह एक गंभीर अपराध है, और ऐसे व्यक्ति का डिप्टी सीएम जैसे उच्च पद पर बने रहना न्याय और कानून के शासन में जनता के विश्वास को कमजोर करेगा।
सम्राट चौधरी का राजनीतिक सफर
सम्राट चौधरी, जो वर्तमान में बिहार के उपमुख्यमंत्री हैं, एक प्रमुख राजनीतिक हस्ती हैं। वह पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में थे और बाद में भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए। बीजेपी में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, और हाल ही में वे बिहार के 2 डिप्टी सीएम में से एक बने हैं। उनके पिता, शकुनी चौधरी भी बिहार के जाने-माने नेता रहे हैं।
जन सुराज पार्टी की इस मांग ने बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री कार्यालय और बीजेपी इस मामले पर क्या रुख अपनाती है। अगर ये आरोप सही साबित होते हैं, तो सम्राट चौधरी के राजनीतिक करियर पर इसका बड़ा असर पड़ सकता है।
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