एशिया कप 2025 का फाइनल 28 सितंबर को दुबई में खेला गया, जहां भारत और पाकिस्तान के बीच हाई-वोल्टेज मुकाबला देखने को मिला। इस मैच में युवा बल्लेबाज तिलक वर्मा ने वह पारी खेली, जिसे भारतीय क्रिकेट इतिहास लंबे समय तक याद रखेगा। भारत 147 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रहा था और टीम शुरुआती झटकों से जूझ रही थी। लेकिन इसी मुश्किल घड़ी में तिलक वर्मा ने मैदान संभाला। उन्होंने 53 गेंदों पर नाबाद 69 रन बनाए, जिसमें 3 चौके और 4 छक्के शामिल थे। आखिरी ओवर तक खिंचे इस मुकाबले में तिलक की पारी ही जीत का आधार बनी और भारत एशिया कप का खिताब अपने नाम करने में सफल रहा।
भारत-पाकिस्तान मुकाबले पर तिलक की बेबाक राय
हैदराबाद लौटने के बाद तिलक वर्मा ने मीडिया से बातचीत की और कप्तान सूर्यकुमार यादव की उस राय से सहमति जताई, जिसमें उन्होंने कहा था कि अब भारत और पाकिस्तान के बीच पहले जैसी प्रतिद्वंद्विता नहीं रही। तिलक ने कहा, “पाकिस्तान हमारी टीम के सामने टिकने की स्थिति में नहीं है।” हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि फाइनल जैसे मैच में दबाव स्वाभाविक था और उन्हें 140 करोड़ भारतीयों की उम्मीदें हमेशा याद थीं। उनके मुताबिक, व्यक्तिगत प्रदर्शन से ज्यादा अहमियत देश की जीत को दिलाने की थी। इस बयान ने साफ कर दिया कि मौजूदा भारतीय टीम आत्मविश्वास से भरी हुई है और पाकिस्तान के खिलाफ उनका नजरिया अब बिल्कुल बदल चुका है।
स्लेजिंग का बल्ले से दिया जवाब
तिलक वर्मा का मैच में उतरना उस वक्त हुआ जब भारत का स्कोर सिर्फ 10 रन पर 2 विकेट था और जल्द ही तीसरा झटका लगकर स्कोर 20/3 हो गया। ऐसे में पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने मानसिक दबाव बनाने के लिए स्लेजिंग शुरू कर दी। लेकिन तिलक ने ठान लिया था कि वह किसी भी उकसावे में नहीं फंसेंगे। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की चुनौती का जवाब उन्होंने शांत रहकर बल्ले से दिया। उनकी धैर्यपूर्ण बल्लेबाजी ने पूरी टीम को संभाला और दर्शाया कि नई पीढ़ी के भारतीय खिलाड़ी मानसिक रूप से कितने मजबूत हैं। इस जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनकी तारीफ करते हुए उनकी पारी को ‘ऑपरेशन तिलक’ नाम दिया, जिसे तिलक ने अपने जीवन का बड़ा सम्मान बताया।
हैदराबाद में जबरदस्त स्वागत
भारत को चैंपियन बनाने के बाद जब तिलक वर्मा 29 सितंबर को अपने गृहनगर हैदराबाद लौटे, तो उनका स्वागत किसी नायक की तरह हुआ। एयरपोर्ट पर हजारों की भीड़ उन्हें देखने और बधाई देने पहुंची। लोग ढोल-नगाड़ों और फूल-मालाओं के साथ उनका अभिनंदन करते नजर आए। मीडिया से बातचीत में उन्होंने दोहराया कि उनकी प्राथमिकता हमेशा देश की जीत रही है और यही भावना उन्हें प्रेरित करती है। उन्होंने कहा कि यह जीत सिर्फ उनके करियर की नहीं, बल्कि पूरे देश की जीत है। तिलक वर्मा का यह दृष्टिकोण और उनका जुझारूपन न सिर्फ युवा क्रिकेटरों के लिए प्रेरणा है, बल्कि भारतीय क्रिकेट की नई सोच और आत्मविश्वास की पहचान भी है।
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