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नवरात्रि सप्तमी पर कौन सा है वो ‘शक्तिशाली मंत्र’ जिसे जपने से हर मनोकामना पूरी होती है?

नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित है, जो डर और बुरी शक्तियों को खत्म करती हैं। गुड़, गुड़हल के फूल और खास मंत्रों से उनकी पूजा करने से भक्तों को हिम्मत और शक्ति मिलती है।

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नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित है। 28 सितंबर 2025 को ये दिन भक्ति और शक्ति का खास मौका लेकर आएगा। मां का ये रूप सबसे शक्तिशाली और थोड़ा डरावना है। उनकी पूजा से डर, मुश्किलें और बुरी शक्तियां दूर हो जाती हैं। लोग मां के सामने सिर झुकाकर सुख, शांति और हिम्मत मांगते हैं। मां कालरात्रि का आशीर्वाद हर बाधा को आसान कर देता है। उनकी पूजा का तरीका आसान है और इसे हर कोई घर पर कर सकता है। आइए जानते हैं कि मां की पूजा कैसे करें, क्या भोग चढ़ाएं और कौन से फूल मां को पसंद हैं।

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मां कालरात्रि का अनोखा रूप

मां कालरात्रि का रूप देखने में डरावना लेकिन बहुत शक्तिशाली है। उनका रंग गहरा काला है, बाल बिखरे हुए हैं और वो गधे पर सवार होती हैं। उनके चार हाथ हैं। दो में तलवार और खड्ग है, जो बुराई को खत्म करते हैं। बाकी दो हाथों से वो भक्तों को आशीर्वाद और सुरक्षा देती हैं। उनकी तीन आंखें चमकती हैं, जैसे बिजली। मान्यता है कि मां ने रक्तबीज जैसे राक्षसों को मारने के लिए ये रूप लिया था। उनकी पूजा से न सिर्फ बुराइयां खत्म होती हैं, बल्कि मन को ताकत भी मिलती है। लोग इस दिन मां को खुश करने के लिए खास पूजा करते हैं ताकि जीवन की मुश्किलें कम हों।

पूजा की आसान विधि

सातवें दिन सुबह जल्दी उठकर नहाएं और साफ कपड़े पहनें। पूजा की जगह को साफ करें और फूलों या रंगोली से सजाएं। मां कालरात्रि की तस्वीर या मूर्ति को लाल कपड़े पर रखें। उनके सामने तेल या घी का दीपक जलाएं। मां को फूल, चंदन, रोली और चावल चढ़ाएं। मंत्र जपते हुए मां का ध्यान करें। मंत्र है: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै।” इसे 108 बार जपें। मां के सामने फल और मिठाई रखें। पूजा के बाद कपूर से आरती करें। रात में भी पूजा की जाती है, खासकर तांत्रिक और साधक। ये समय मां की शक्ति पाने के लिए बहुत खास माना जाता है।

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मां को प्रिय भोग

मां कालरात्रि को गुड़ बहुत पसंद है। इस दिन गुड़ से बनी चीजें जैसे मालपुआ, गुड़ की खीर या लड्डू भोग में चढ़ाएं। ये भोग मां को खुश करता है और भक्तों को सुख देता है। कुछ लोग मिश्री या बताशा भी चढ़ाते हैं। मीठा भोग मां के गुस्सैल रूप को शांत करता है। भोग चढ़ाने के बाद इसे घरवालों में प्रसाद के रूप में बांटें। मान्यता है कि इससे घर में अच्छी ऊर्जा आती है और बुरी चीजें दूर रहती हैं। ये छोटी सी बात पूजा को और खास बनाती है।

पसंदीदा फूल और उनकी खुशबू

मां कालरात्रि को लाल फूल बहुत पसंद हैं। खासकर गुड़हल और गुलाब के फूल उनकी पूजा में चढ़ाए जाते हैं। इन फूलों की माला बनाकर मां को चढ़ाएं। गुड़हल का लाल रंग मां की ताकत दिखाता है। गुलाब की खुशबू मां को खुश करती है। कुछ लोग शमी के पत्ते भी चढ़ाते हैं। ये पूजा को और शुभ बनाते हैं। फूल चढ़ाते समय मन में सच्ची भक्ति रखें। इससे मां जल्दी प्रसन्न होती हैं और भक्तों की हर इच्छा पूरी करती हैं।

पूजा का शुभ समय

सप्तमी तिथि 28 सितंबर 2025 को सुबह 11:45 बजे शुरू होगी और 29 सितंबर को दोपहर 12:15 बजे तक रहेगी। सुबह का ब्रह्म मुहूर्त 4:40 से 5:30 बजे तक है। ये पूजा के लिए सबसे अच्छा समय है। रात में निशिता मुहूर्त 11:30 से 12:20 बजे तक रहेगा। इस समय पूजा करने से विशेष फल मिलता है। साधक इस समय मां की शक्ति पाने के लिए ध्यान करते हैं। ये पूजा हर किसी के लिए आसान और खास है।

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