लेह शहर में 24 सितंबर 2025 को सुबह का समय था जब एनडीएस मेमोरियल ग्राउंड पर बहुत सारे युवा लोग जमा हो गए। ये सब लद्दाख को पूरा राज्य बनाने और संविधान की छठी अनुसूची में डालने की मांग कर रहे थे। शुरू में सब शांत था, लेकिन जल्दी ही बात बिगड़ गई। लोग उग्र हो गए और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के दफ्तर पर पत्थर फेंकने शुरू कर दिए। फिर हिल काउंसिल पर भी हमला हुआ। देखते ही देखते बीजेपी के कार्यालय में आग लगा दी गई। पुलिस की गाड़ियां तोड़ी गईं। इस सब में चार लोग मारे गए और 70 से ज्यादा लोग घायल हो गए। 30 से अधिक पुलिस वाले भी चोटिल हुए। पूरा शहर में अफरा-तफरी मच गई। पुलिस को हालात संभालने के लिए आंसू गैस छोड़नी पड़ी और लाठियां चलानी पड़ीं। शाम चार बजे तक सब काबू में आ गया, लेकिन डर का माहौल अभी भी है।
केंद्र सरकार का बयान
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जल्दी ही एक बयान निकाला। उन्होंने कहा कि ये सब सोनम वांगचुक के भड़काने वाले बोलों की वजह से हुआ। मंत्रालय के अनुसार, सुबह 11:30 बजे लोग अनशन वाली जगह से निकले और सीधे बीजेपी दफ्तर और लेह के सीईसी कार्यालय पर हमला कर दिया। सरकार ने ये भी बताया कि वांगचुक ने हिंसा के समय शांति बनाने की कोई कोशिश नहीं की। उन्होंने लोगों से कहा कि सोशल मीडिया पर पुराने या उकसाने वाले वीडियो मत फैलाओ। ये बयान से साफ है कि सरकार इस मामले को गंभीरता से देख रही है और जिम्मेदारी तय कर रही है।
बातचीत की प्रक्रिया
सरकार ने ये भी कहा कि वो लद्दाख के लोगों की बातें सुन रही है। सोनम वांगचुक ने 10 सितंबर 2025 से भूख हड़ताल शुरू की थी। उनकी मांग थी कि लद्दाख को छठी अनुसूची मिले और पूरा राज्य का दर्जा मिले। केंद्र ने बताया कि वो लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस से पहले से बात कर रहे हैं। कई बैठकें हो चुकी हैं, कुछ औपचारिक और कुछ अनौपचारिक। अगली मीटिंग 6 अक्टूबर को है। इसके अलावा 25 और 26 सितंबर को भी चर्चा होगी। सरकार चाहती है कि सब शांति से हल हो जाए।
लद्दाख के लिए उठाए गए कदम
केंद्र सरकार ने बातचीत से कई अच्छे काम किए हैं। लद्दाख में अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 45 प्रतिशत से बढ़ाकर 84 प्रतिशत कर दिया गया है। परिषदों में महिलाओं को एक-तिहाई सीटें दी गई हैं। भोटी और पुर्गी भाषाओं को सरकारी मान्यता मिल गई है। साथ ही, 1800 सरकारी नौकरियों की भर्ती शुरू हो चुकी है। सरकार कहती है कि वो लद्दाख की संस्कृति और राजनीतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार है। ये कदम दिखाते हैं कि केंद्र लद्दाख को मजबूत बनाने में लगा है।
हिंसा का असर
ये हिंसा ने लेह के शांत इलाके को हिला दिया है। प्रदर्शन करने वाले लोगों ने न सिर्फ बीजेपी दफ्तर को नुकसान पहुंचाया, बल्कि सरकारी इमारतों और पुलिस की चीजों पर भी हमला किया। अब शहर में तनाव है। लोग डरे हुए हैं। सरकार ने सबको शांत रहने की अपील की है। ये घटना से साफ है कि मांगें जायज हैं, लेकिन हिंसा से समस्या बढ़ जाती है। केंद्र ने वादा किया है कि वो बातचीत से सब सुलझाएंगे। लद्दाख के लोग अब अगली मीटिंगों का इंतजार कर रहे हैं। ये सब से पता चलता है कि इलाके की मांगें पुरानी हैं और सरकार उन पर काम कर रही है। हिंसा ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है।
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