IRCTC घोटाला मामला दरअसल 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे। आरोप है कि उस दौरान इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज़्म कॉरपोरेशन (IRCTC) के दो होटलों रांची और पुरी के रखरखाव और संचालन का ठेका एक प्राइवेट कंपनी को नियमों के विपरीत तरीके से दिया गया। जांच एजेंसियों का दावा है कि इस अनुबंध के एवज में एक राजनीतिक लाभ और आर्थिक फायदा हासिल किया गया। इस कथित गड़बड़ी में सिर्फ लालू प्रसाद यादव ही नहीं, बल्कि उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और पुत्र तथा तत्कालीन उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का नाम भी सामने आया। CBI का कहना है कि इसमें धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर अपराध जुड़े हैं।
राउज एवेन्यु कोर्ट ने इस केस की सुनवाई के दौरान सभी पक्षों की दलीलें सुनीं। CBI का पक्ष साफ है कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और मुकदमा चलना चाहिए। वहीं, लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव की ओर से यह तर्क दिया गया है कि एजेंसी के पास इस मामले को अदालत में टिकाने लायक ठोस सबूत नहीं हैं। बचाव पक्ष का कहना है कि यह मामला राजनीतिक द्वेष का परिणाम है और इसका उद्देश्य विपक्षी नेताओं को निशाना बनाना है। अदालत ने अब इस पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है और 13 अक्टूबर को साफ हो जाएगा कि आरोप तय होंगे या नहीं। सभी आरोपियों को इस दिन व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया है, जिससे यह सुनवाई और भी अहम हो गई है।
यह मामला केवल एक आर्थिक घोटाले तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके राजनीतिक निहितार्थ भी गहरे हैं। लालू प्रसाद यादव पहले से ही कई भ्रष्टाचार मामलों में सजायाफ्ता रह चुके हैं और लंबे समय तक जेल में भी रहे हैं। अगर अदालत आरोप तय करती है, तो यह न सिर्फ लालू परिवार की छवि को प्रभावित करेगा, बल्कि बिहार की राजनीति पर भी सीधा असर डालेगा। दूसरी ओर, अगर आरोप तय नहीं होते, तो यह राजद और खासकर तेजस्वी यादव के लिए एक बड़ी राजनीतिक राहत साबित होगी। लिहाजा, 13 अक्टूबर की तारीख इस पूरे प्रकरण में निर्णायक मानी जा रही है।
Keywords – Lalu Prasad Yadav, Rabdi Devi, Tejashwi Yadav, Irctc Scam, Cbi Case, Railway Minister Tenure, Bihar Politics, Railway Hotel Contract, Rouse Avenue Court