भारत और अमेरिका के बीच हाल के दिनों में व्यापार और वीज़ा नीतियों से जुड़ी खींचतान ने रिश्तों पर असर डाला है। अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाए जाने और H-1B वीज़ा आवेदन शुल्क बढ़ाने से भारतीय उद्योग और आईटी सेक्टर को सीधा झटका लगा है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर का मानना है कि इस फैसले से भारत में नौकरियों पर असर पड़ा है और आर्थिक गतिविधियों में गिरावट की आशंका है। उनका कहना है कि यह वर्ष भारत के लिए कठिन साबित हो सकता है, लेकिन यह केवल अल्पकालिक झटका है। थरूर का तर्क है कि बड़ी तस्वीर में देखें तो दोनों देशों के बीच सहयोग की नींव इतनी गहरी है कि अस्थायी विवादों से वह हिल नहीं सकती।
सहयोग के अनेक क्षेत्र
थरूर ने ज़ोर देकर कहा कि भारत और अमेरिका सिर्फ व्यापार तक सीमित साझेदार नहीं हैं। रक्षा, आर्टिफीसियल इंटेलिजेन्स (AI), सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष अनुसंधान और खुफिया जानकारी साझा करने जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग लगातार जारी है। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों सरकारें सिर्फ उच्च स्तर पर ही नहीं, बल्कि अलग-अलग विभागों और एजेंसियों के स्तर पर भी मिलकर काम कर रही हैं। यही कारण है कि वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच रिश्ते किसी एक फैसले या बयान से पूरी तरह प्रभावित नहीं होंगे। थरूर ने स्पष्ट किया कि अमेरिका की ओर से कठोर बयानबाज़ी और सलाहकारों की अपमानजनक टिप्पणियों से भारत में असंतोष ज़रूर है, लेकिन इससे साझेदारी का बुनियादी ढांचा नहीं टूटेगा।
भारतीय मूल के लोगों की भूमिका
भारत-अमेरिका रिश्तों की एक बड़ी मज़बूती वहां रह रहे भारतीय मूल के लोग हैं। थरूर ने कहा कि अमेरिका में 40 से 59 लाख तक भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जो शिक्षा, व्यापार और तकनीक के क्षेत्र में अहम योगदान दे रहे हैं। भारतीय छात्र अमेरिका के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय छात्र समूह का हिस्सा हैं और कई बड़ी कंपनियों के सीईओ भारतीय मूल के हैं। इस बढ़ते भारतीय प्रभाव ने दोनों देशों को एक-दूसरे से जोड़े रखने में पुल का काम किया है। अमेरिकी समाज में भारतीयों की उपस्थिति इतनी गहरी हो चुकी है कि रिश्तों का टूटना किसी भी पक्ष के हित में नहीं है।
रिश्तों की मजबूती और आगे की राह
थरूर ने सवाल उठाया कि तीन दशक से अधिक पुरानी इस साझेदारी को अचानक क्यों चुनौती दी जा रही है। उनका कहना है कि व्यापार प्रतिबंधों और कठोर भाषा का इस्तेमाल भारत में अस्वीकृति और नाराज़गी का कारण बना है। फिर भी उनका विश्वास है कि दीर्घकालिक दृष्टिकोण से भारत और अमेरिका के साझा हित उन्हें बार-बार एक मंच पर लाएंगे। दोनों लोकतंत्र वैश्विक राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और तकनीक से लेकर सुरक्षा तक के क्षेत्र में उनके हित काफी हद तक समान हैं। यही साझा आधार आने वाले वर्षों में रिश्तों को और मज़बूत करेगा। थरूर का संदेश साफ है, आज चाहे झटके कितने भी बड़े क्यों न हों, भविष्य का रास्ता सहयोग और साझेदारी से ही तय होगा।
Keywords – India-US Relations, Shashi Tharoor, H-1B Visa, US Tariffs On India, Defense Collaboration, Long-term Strategic Partnership