रविवार को कच्छ जिले के लोगों ने एक ही दिन में धरती को दो बार कांपते हुए महसूस किया। भूकंपीय अनुसंधान संस्थान (आईएसआर) की रिपोर्ट के अनुसार, दोपहर करीब 12:41 बजे 3.1 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया, जिसका केंद्र भचाऊ से लगभग 12 किलोमीटर उत्तर-पूर्व दिशा में था। इससे पहले सुबह 6:41 बजे भी इसी जिले में 2.6 तीव्रता का झटका महसूस किया गया था, जिसका केंद्र धोलावीरा से लगभग 24 किलोमीटर पूर्व-दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित था। लगातार आए इन झटकों से लोगों में थोड़ी घबराहट जरूर रही, लेकिन राहत की बात यह रही कि कहीं से भी नुकसान की सूचना सामने नहीं आई।
प्रशासन और लोगों की प्रतिक्रिया
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी ने जानकारी दी कि भूकंप से किसी भी तरह का जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है। चूंकि कच्छ क्षेत्र अक्सर छोटे-छोटे भूकंप झेलता है, इसलिए यहां के लोग ऐसे हालात के आदी हो चुके हैं। हालांकि, जब धरती कांपती है तो कुछ क्षणों के लिए लोगों में चिंता बढ़ जाती है और वे खुले स्थानों की ओर दौड़ पड़ते हैं। प्रशासन ने भी त्वरित सतर्कता बरतते हुए स्थिति पर नजर बनाए रखी। विशेषज्ञ मानते हैं कि छोटे-छोटे झटके बड़े खतरे का संकेत नहीं होते, बल्कि यह क्षेत्र की भौगोलिक संरचना का स्वाभाविक हिस्सा है।
भूकंप प्रवण क्षेत्र के रूप में कच्छ
कच्छ का इलाका भारत के उन हिस्सों में गिना जाता है जो भूकंपीय दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील हैं। इस जिले का नाम भारत की उन जगहों में शामिल है जहां अक्सर धरती हिलती रहती है। 2001 में यहां आया विनाशकारी भूकंप आज भी लोगों की यादों में ताजा है। उस समय 7.7 तीव्रता के भूकंप ने सैकड़ों शहरों और गांवों को खंडहर में बदल दिया था। लगभग 13,800 लोगों की मौत हुई थी और 1.67 लाख से अधिक लोग घायल हो गए थे। यह त्रासदी भारत की पिछली दो शताब्दियों में तीसरे सबसे बड़े और दूसरे सबसे विनाशकारी भूकंप के रूप में दर्ज हुई थी। यही वजह है कि आज भी जब हल्का सा झटका महसूस होता है तो लोगों की धड़कनें तेज हो जाती हैं।
भविष्य को लेकर सतर्क रहने की जरूरत
हाल के झटकों से किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन यह घटनाएं एक बार फिर याद दिलाती हैं कि कच्छ क्षेत्र हमेशा खतरे की जद में रहता है। वैज्ञानिक लगातार इस क्षेत्र में भूकंपीय गतिविधियों पर नजर रखते हैं और समय-समय पर रिपोर्ट जारी करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे झटके आने से बड़ी ऊर्जा निकल जाती है, जिससे बड़े भूकंप का खतरा कुछ हद तक कम हो सकता है। इसके बावजूद स्थानीय प्रशासन और नागरिकों को आपदा प्रबंधन के उपायों के प्रति सजग रहना जरूरी है। भूकंप की स्थिति में सुरक्षित स्थानों पर पहुंचना, इमारतों के ढांचे को मजबूत करना और जागरूकता कार्यक्रम चलाना ऐसी पहलें हैं, जिनसे भविष्य की आपदाओं में नुकसान को कम किया जा सकता है।
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