नेपाल में हुए हालिया घटनाक्रम ने एक बार फिर दक्षिण एशिया में राजनीतिक अस्थिरता की तस्वीर को उजागर कर दिया है। सोशल मीडिया बैन के खिलाफ शुरू हुआ युवाओं का आंदोलन धीरे-धीरे इतना व्यापक हो गया कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। ये केवल एक विरोध नहीं रहा, बल्कि नेपाल के इतिहास में एक बड़े तख्तापलट के रूप में दर्ज हो गया।
जनता के गुस्से ने बदली नेपाल की सत्ता
नेपाल में 4 सितंबर को सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया गया था। देखते ही देखते लाखों युवा सड़कों पर उतर आए और प्रदर्शन ने जोर पकड़ लिया। मांगें सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और कुशासन के खिलाफ भी आवाज उठी। अंततः ओली सरकार को घुटने टेकने पड़े और इस्तीफे के साथ ही नेपाल उन देशों की सूची में शामिल हो गया, जहां जनता के गुस्से ने सत्ता बदल दी।
पाकिस्तान में 4 बार हिला लोकतंत्र
ऐसी घटनाएं दक्षिण एशिया में नई नहीं हैं। पाकिस्तान इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसने 1947 के बाद से अब तक चार बार सैन्य तख्तापलट झेला है। चाहे 1958 में इस्कंदर मिर्जा का कदम हो, 1977 में जुल्फिकार अली भुट्टो के खिलाफ जिया-उल-हक का सैन्य कब्जा या फिर 1999 में परवेज मुशर्रफ द्वारा नवाज शरीफ को सत्ता से बेदखल करना, हर बार जनता और सेना के टकराव ने लोकतंत्र को हिला दिया।
छात्रों के गुस्से ने बांग्लादेश का किया तख्तापलट
बांग्लादेश भी इससे अछूता नहीं रहा। 2024 में शेख हसीना सरकार के खिलाफ छात्र आंदोलन भड़क उठा। सरकारी नौकरियों में आरक्षण और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर युवाओं का गुस्सा इतना बढ़ा कि सरकार गिर गई। दिलचस्प बात ये रही कि तख्तापलट के पीछे अमेरिका पर भी उंगली उठाई गई। शेख हसीना के बेटे ने खुले तौर पर वॉशिंगटन पर इस साजिश का आरोप लगाया था।
श्रीलंका में जनता के आक्रोश से भयभीत राष्ट्रपति को छोड़ना पड़ा देश
श्रीलंका में 2022 का आर्थिक संकट यादगार है। पेट्रोल, दवाइयों और भोजन की कमी ने जनता को सड़कों पर ला दिया। राजपक्षे परिवार के खिलाफ आंदोलन इतना तेज हुआ कि राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा।
अफगानिस्तान भी नहीं रहा अछूता
इसी कड़ी में अफगानिस्तान का जिक्र भी जरूरी है। 2021 में अमेरिका के सेना हटाते ही तालिबान ने सत्ता पर कब्जा कर लिया और अशरफ गनी सरकार का तख्तापलट कर दिया। ये कदम पूरे क्षेत्र में भू-राजनीतिक अस्थिरता का कारण बना।
नेपाल की मौजूदा स्थिति इस बात की गवाही देती है कि दक्षिण एशिया के देशों में जब-जब जनता का धैर्य टूटा है, सत्ता के गलियारों में भूचाल आना तय रहा है। सवाल ये है कि क्या नेपाल इस संकट से बाहर निकल पाएगा या फिर ये घटनाक्रम भविष्य में और गहरी राजनीतिक अस्थिरता का कारण बनेगा?
Keywords – Nepal Protest, KP Sharma Oli Resignation, Nepal Coup, South Asia Political Crisis, Social Media Ban Nepal, Nepal Youth Movement, Corruption Protest Nepal, Kathmandu Unrest, Nepal Government Collapse, Nepal Instability