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हजरतबल दरगाह में अशोक चिह्न तोड़ा, 20 हिरासत में | क्या है विवाद और कितनी सजा?

श्रीनगर की हजरतबल दरगाह में अशोक चिह्न तोड़ने की घटना ने देशभर में विवाद खड़ा किया। पुलिस ने 20 लोगों को हिरासत में लिया। जानें कानून क्या कहता है और दोषियों को कितनी सजा मिल सकती है।

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श्रीनगर की मशहूर हजरतबल दरगाह में हाल ही में हुई एक घटना ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। दरगाह के नवीनीकरण के दौरान लगाए गए एक बोर्ड पर भारत का राष्ट्रीय प्रतीक अशोक चिह्न बनाया गया था। कुछ लोगों ने इस चिह्न को पत्थर मारकर तोड़ दिया। उनका कहना था कि धार्मिक स्थल पर ऐसी आकृति इस्लामी मान्यताओं के खिलाफ है। इस घटना के बाद श्रीनगर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए 20 लोगों को हिरासत में लिया। पुलिस ने भारतीय कानून की धारा 300, 352, 191(2), 324(4), और 196(61)(2) के साथ-साथ राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहत मामला दर्ज किया है। अभी कुछ और लोगों से पूछताछ जारी है।

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क्या है पूरा मामला

हजरतबल दरगाह जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में डल झील के किनारे स्थित एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। हाल ही में दरगाह परिसर में सौंदर्यीकरण और नवीनीकरण का काम चल रहा था। इस दौरान वक्फ बोर्ड ने एक बोर्ड लगाया, जिस पर अशोक चिह्न की आकृति उकेरी गई थी। कुछ लोगों ने इसे धार्मिक भावनाओं के खिलाफ बताते हुए बोर्ड को तोड़ दिया। इस घटना ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी विवाद को जन्म दिया।

राजनीतिक बयानबाजी और आरोप

इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इसे राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान बताते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। बीजेपी नेता और वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष दरख्शां अंद्राबी ने इसे संविधान पर हमला और आतंकी कार्रवाई तक करार दिया। दूसरी ओर, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने वक्फ बोर्ड के फैसले पर सवाल उठाए। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि देश के किसी भी धार्मिक स्थल पर राष्ट्रीय प्रतीक का इस्तेमाल नहीं होता, तो हजरतबल में यह क्यों किया गया।

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कानून क्या कहता है

भारत में राष्ट्रीय प्रतीकों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून हैं। राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 और राष्ट्रीय प्रतीक (अनुचित उपयोग पर रोक) अधिनियम, 2005 के तहत अशोक चिह्न जैसे राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान करना गंभीर अपराध है। अगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर राष्ट्रीय प्रतीक को तोड़ता है या उसका अपमान करता है, तो उसे तीन साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। इसके अलावा, प्रतीक के अनुचित उपयोग या तोड़फोड़ के मामले में दो साल तक की कैद और 5,000 रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला न केवल संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का है, बल्कि राष्ट्रीय सम्मान से भी जुड़ा है।

वक्फ बोर्ड और स्थानीय प्रतिक्रिया

वक्फ बोर्ड ने इस घटना को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। बोर्ड का कहना है कि अशोक चिह्न को लगाने का मकसद राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना था। हालांकि, स्थानीय लोगों का एक वर्ग इसे धार्मिक संवेदनशीलता के खिलाफ मानता है। इस घटना ने श्रीनगर में तनाव की स्थिति पैदा कर दी है, और पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है।

Keywords: Hazratbal Dargah, Ashok Symbol, Srinagar News, National Emblem, Vandalism Case, Indian Law, BJP Reaction, Omar Abdullah, Mehbooba Mufti, WAQF Board

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