आज 7 सितंबर 2025 से पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है, जो 21 सितंबर तक चलेगा। यह पवित्र समय हिंदू धर्म में अपने पूर्वजों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए समर्पित है। इस दौरान देशभर में लाखों लोग गंगा, यमुना और नर्मदा जैसी पवित्र नदियों के किनारे स्नान और तर्पण करते हैं। बदायूं के कछला गंगा घाट पर भी श्रद्धालु पिंडदान और तर्पण के लिए पहुंच रहे हैं। प्रशासन ने घाटों पर पुलिस, गोताखोर और नगर पंचायत कर्मियों की तैनाती की है ताकि कोई दुर्घटना न हो।
पितृ पक्ष का धार्मिक महत्व
पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। मान्यता है कि इन 15 दिनों में पितर धरती पर अपने परिवार को आशीर्वाद देने आते हैं। तर्पण, पिंडदान और दान करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा स्नान के साथ हो रही है। 7 सितंबर की रात 10:58 बजे से चंद्र ग्रहण भी लगेगा, जिसका सूतक दोपहर 12:57 बजे से शुरू होगा। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे।
पितृ पक्ष में क्या करें
पितृ पक्ष में गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करें और काले तिल के साथ तर्पण करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और भोजन को पीतल, तांबा या चांदी के बर्तनों में बनाएं। पलाश के पत्तों पर भोजन परोसना शुभ होता है। दान में अनाज, कपड़े और धन देना पुण्यकारी माना जाता है। दोपहर का समय तर्पण के लिए सबसे अच्छा है। शुद्ध मन और शरीर के साथ सभी अनुष्ठान करें।
पितृ पक्ष में क्या न करें
श्राद्ध के दौरान लोहे या स्टील के बर्तनों का उपयोग न करें। मांस, शराब, प्याज, लहसुन, बैंगन, लौकी, मूली, सरसों का साग, मसूर की दाल, काला नमक और सत्तू खाने से बचें। सफेद तिल का उपयोग तर्पण में न करें। झूठ बोलना, क्रोध करना, छल-कपट या किसी का अपमान करने से पितर नाराज हो सकते हैं। मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश या नया कारोबार शुरू करना भी वर्जित है।
श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्थाएं
पितृ पक्ष के दौरान बदायूं, गया, वाराणसी और हरिद्वार जैसे तीर्थस्थलों पर भारी भीड़ होती है। प्रशासन ने घाटों पर सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था की है। गोताखोर और पुलिस तैनात हैं ताकि स्नान और तर्पण सुरक्षित हो।
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