चीन के तियानजिन में हुए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात अमेरिका को भारत के प्रति नजरिया बदलने के लिए मजबूर कर दिया है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत-अमेरिकी दोस्ती की दुहाई दी है। उनके द्वारा अमेरिका भारत दोस्ती की अहमियत भी बताई गई है।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने बयान जारी कर कहा कि ‘भारत और अमेरिका की जनता के बीच की यह गहरी दोस्ती हमारी साझेदारी की नींव है। यही हमें आगे बढ़ाती है और हमारी आर्थिक साझेदारी की अपार संभावनाओं को साकार करती है।
भारत, चीन और रूस को एक मंच पर आने से अमेरिका की चिंता काफी बढ़ गई है। अब वॉशिंगटन खुलकर भारत से अपनी दोस्ती की अहमियत गिनाने लगा है। नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने भारत से दोस्ती दिखाते हुए लंबा चौड़ा पोस्ट लिखा है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में अमेरिकी दूतावास ने कहा भारत-अमेरिका की साझेदारी 21वीं सदी का परिभाषित रिश्ता है। यह साझेदारी लगातार नई ऊंचाइयां छू रही है और इसका आधार हमारे दोनों देशों की जनता की स्थायी मित्रता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि SCO समिट में मोदी-पुतिन-जिनपिंग के बीच जिस तरह के सकारात्मक संदेश सामने आए हैं, उसने अमेरिका पर दबाव बढ़ा दिया है। रूस-चीन के साथ भारत की बढ़ती नजदीकी से वॉशिंगटन को यह एहसास हो गया है कि अगर वह एशिया में अपने हित सुरक्षित रखना चाहता है, तो उसे भारत के साथ रिश्ते मजबूत करने होंगे।
दरअसल, हाल ही में व्हाइट हाउस ने भारत के रूस से तेल खरीदने पर कई तीखी टिप्पणियां की थीं। अमेरिका अपने टैरिफ नीति के बदौलत भारत पर दबाव डालने का प्रयास कर रहा था। लेकिन भारत, चीन और रूस को एक मंच पर आने से अमेरिका की हवा निकल गई है, और अब भारत से पुरानी दोस्ती का हवाला देते हुए बयान दिए जा रहे हैं।
अब SCO समिट से आई तस्वीरों ने समीकरण बदल दिए हैं।यही वजह है कि अमेरिका अब भारत-अमेरिका संबंधों को 21वीं सदी की परिभाषित साझेदार( defined partner )कहने पर मजबूर हो गया है।
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