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चीन तैयार कर रहा नई तकनीक,अब इंसानों की तरह ‘प्रेगनेंट’ होंगे रोबोट, देंगे बच्चों को जन्म, जानिए क्या है एक्सपेरिमेंट?

चीन में बड़ा एक्सपेरिमेंट किया जा रहा है। इस नई तकनीक की मदद से रोबोट इंसानी बच्चों को जन्म दे सकेगा। इस अनोखी टेक्नोलॉजी से बांझपन की समस्या से जूझ रहे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।

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विज्ञान अब इंसानी बच्चों को जन्म देने में भी सक्षम होगा। इसे लेकर चीनी वैज्ञानिक द्वारा बड़ा कार्यक्रम शुरु किया गया है। चीनी वैज्ञानिक जन्म देने में सक्षम रोबोट विकसित कर रहे हैं। 2026 में प्रोटोटाइप आने की उम्मीद है।

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भ्रूण एक कृत्रिम गर्भाशय( artificial uterus)के अंदर विकसित होगा और एक नली के माध्यम से पोषक तत्व प्राप्त करेगा। हालाँकि निषेचन (fertilization )की सटीक प्रक्रिया का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन इस परियोजना का नेतृत्व गुआंगज़ौ स्थित काइवा टेक्नोलॉजी द्वारा सिंगापुर के नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक डॉ. झांग किफेंग के नेतृत्व में किया जा रहा है।

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी वैज्ञानिक दुनिया का पहला जेस्टेशन रोबोट विकसित कर रहे हैं जो एक जीवित बच्चे को जन्म दे सकता है। इस अभूतपूर्व तकनीक को गर्भधारण (pregnancy) से लेकर प्रसव तक, पूरे गर्भावस्था चक्र की नकल करने के लिए डिज़ाइन किया जा रहा है।

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यह बांझ दंपतियों या उन लोगों के लिए भी मददगार साबित हो सकती है जो जैविक गर्भधारण नहीं करना चाहते। डॉ. झांग ने दावा किया है कि यह तकनीक पहले से ही परिपक्व अवस्था (mature stage )में है। उन्होंने बताया, अब इसे रोबोट के पेट में प्रत्यारोपित करने की ज़रूरत है ताकि एक वास्तविक व्यक्ति और रोबोट आपस में मिलकर गर्भधारण कर सकें और भ्रूण को अंदर विकसित होने दें।

इस परियोजना ने नैतिक निहितार्थों (ethical implications) को लेकर बहस छेड़ दी है, जिसमें भ्रूण-माँ के संबंध, अंडों और शुक्राणुओं के स्रोत, और इस प्रक्रिया से पैदा होने वाले बच्चे पर संभावित मनोवैज्ञानिक प्रभाव जैसी चिंताएँ शामिल हैं। फिर भी, विशेषज्ञों का सुझाव है कि यह बांझपन से जूझ रहे लोगों के लिए नए विकल्प प्रदान करके प्रजनन विज्ञान में क्रांति ला सकता है।

यह अवधारणा कृत्रिम गर्भाशय पर पहले किए गए शोध पर आधारित है, जिसमें 2017 का एक प्रयोग भी शामिल है। जिसमें समय से पहले जन्मे मेमनों को सिंथेटिक एमनियोटिक द्रव से भरे ‘बायोबैग’ के अंदर रखा गया था।

झांग के इस प्रोजेक्ट का कई लोग समर्थन कर रहे हैं। कुछ लोगों ने इसे महिला के गर्भधारण के शारीरिक बोझ को खत्म करने वाला कदम बताया और कहा कि अगर कीमत किफायती रही तो वे तुरंत खरीदेंगे। वहीं, आलोचकों का कहना है कि यह मानव नैतिकता के खिलाफ है और मां से जुड़े बिना भ्रूण का जन्म ‘क्रूर’ होगा। अगर यह प्रोजेक्ट सफल होता है तो बांझपन से जूझ लोग भी संतान पैदा कर पाएंगे।

चोसुन बिज की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में बांझपन की दर 2007 में 11.9% से बढ़कर 2020 में 18% हो गई है। बीजिंग और शंघाई जैसे शहर अब आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन और IVF को मेडिकल इंश्योरेंस के तहत कवर कर रहे हैं।

2022 में, जियांग्सू प्रांत के सुजोउ इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी ने AI-आधारित ‘नैनी रोबोट’ विकसित किया था जो कृत्रिम गर्भाशय में भ्रूण की निगरानी और देखभाल करता था। हालांकि चीन के कानून के अनुसार कृत्रिम गर्भाशय में मानव भ्रूण को दो हफ्ते से अधिक विकसित करना प्रतिबंधित है।

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